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मेरे अपने उधारी दे के ऋण को छोड़ देते हैं

मेरे अपने उधारी दे के ऋण को छोड़ देते हैं

मगर फिर नास्ते का दाम उसमें जोड़ देते हैं

 

चलाते योजना अक्सर वो अपने जेब भरने को  

सियासी हैं बड़े नदियों का रुख भी मोड़ देते हैं

 

जो हैं कमजोर दुनिया में करें वो ज्ञान की बातें

बहादुर हैं जो हाँ करवाने सर ही फोड़ देते हैं

 

करे हैं जोंक सी यारी लिपट के यार मतलब से

निकल जाता है जब मतलब वो यारी तोड़ देते हैं

 

हवाएं जब करें साजिश चटक जाते हैं तब फानूश

तमस से जंग लड़ना दीप भी तब छोड़ देते हैं

.........दीप...........

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 7:28pm

वाह... क्या बात है आ0 संदीप भाई.... कई मामलों पर एकदम सटीक बैठती इस प्रस्तुति हेतु बधाई....

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 21, 2013 at 11:22pm

एक दम सच्चाई से रूबरू करवाती इस रचना पर ढेरो बधाईयाँ आपको |

Comment by annapurna bajpai on October 21, 2013 at 6:44pm

वाह !! बढ़िया भावों से सुसज्जित गजल हेतु बधाई स्वीकारें आ0 संदीप जी । 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 21, 2013 at 12:24pm

सुंदर भावों के इस ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकारें ..सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 20, 2013 at 10:29am

मेरे अपने उधारी दे के ऋण को छोड़ देते हैं

मगर फिर नास्ते का दाम उसमें जोड़ देते हैं....वाह! बहुत सटीक बात

बेहतरीन गजल पर दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय संदीप जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 20, 2013 at 10:09am

अच्छी ग़ज़ल है आदरणीय संदीप जी बधाई स्वीकार करें

Comment by coontee mukerji on October 20, 2013 at 1:13am

मेरे अपने उधारी दे के ऋण को छोड़ देते हैं

मगर फिर नास्ते का दाम उसमें जोड़ देते हैं.....बहुत खूब.

 

Comment by Abhinav Arun on October 19, 2013 at 6:24pm

सुन्दर सशक्त अश आर हार्दिक बधाई संदीप जी बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 19, 2013 at 6:17pm

आदरनीय सन्दीप भाई , उम्दा गज़ल कही है आपको हार्दिक बधाई !!!!!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 19, 2013 at 5:33pm

जो हैं कमजोर दुनिया में करें वो ज्ञान की बातें

बहादुर हैं जो हाँ करवाने सर ही फोड़ देते हैं

मिसरा सानी कुछ अटक सा रहा है, इसे अगर यूँ कहें तो  ……… 

बहादुर हैं जो करवाने को हाँ सर फोड़ देते हैं

बाकी के सभी अशआर मस्त मस्त लगें , बहुत बहुत बधाई प्रिय संदीप भाई । 

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