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सिर्फ कानों सुना नहीं जाता

2 1 2 2   1 2 1 2   2 2

सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
लब से सब कुछ कहा नहीं जाता

दर्द कि इन्तहां हुई यारों
मुझसे अब यूँ सहा नहीं जाता

देश का हाल जो हुआ है अब
चुप तो मुझसे रहा नहीं जाता

चुन के मारो सभी  दरिन्दों को
माफ इनको किया नहीं जाता

वो खता बार- बार करता है
फिर सज़ा क्यूँ दिया नहीं जाता

है भला क्या तेरी परेशानी
बावफ़ा जो हुआ नहीं जाता

कैसे वादा निभाऊ जीने का
तेरे बिन अब जिया नहीं जाता

संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 1, 2013 at 8:39pm

वाह वाह भइ वाह !!  अच्छी ग़ज़ल हुई है.

यों, मतला में तो यों इता दोष है. चूँकि, ग़ज़ल लिखने की आपकी यह प्रारम्भिक अवस्था है, सो अभी तो वाह-वाह .. लेकिन आगे से ठीक हो लीजिये.... :-))))

दर्द कि इन्तहां हुई यारों .. यहाँ यारो होगा, नकि यारों.. आपने यार-अपनों को सम्बोधित किया है न ! फिर?

दो-एक शेर तो वाकई बहुत ऊँचे हुए हैं.
दिली दाद कुबूल कीजिये.

Comment by sanju shabdita on September 30, 2013 at 5:13pm

veenas ji mai abhibhoot hu aapke anumodan ne to mano mere ghazal me pankh bandh kar hawa me uda diya ho..

aur mai use pakad nahi pa rahi...

                                hausala aafjaie ke liye bahut-bahut shukriya 

                                                        sadar

Comment by sanju shabdita on September 30, 2013 at 5:07pm

aap sabhi sudhijanon ka hridaytal se bahut-bahut aabhar

Comment by vijay nikore on September 30, 2013 at 4:55am

गज़ल में सभी खयाल बहुत अच्छे लगे।

आपको बधाई, आदरणीया संजु जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Neeraj Neer on September 28, 2013 at 8:49am

बहुत खूब 

कैसे वादा निभाऊ जीने का 

तेरे बिन अब जिया नहीं जाता 

अच्छी ग़ज़ल कही है .. बधाई ..

Comment by annapurna bajpai on September 28, 2013 at 12:15am

देश का हाल जो हुआ है अब
चुप तो मुझसे रहा नहीं जाता 

चुन के मारो सभी  दरिन्दों को 
माफ इनको किया नहीं जाता 

वो खता बार- बार करता है 
फिर सज़ा क्यूँ दिया नहीं जाता ................ बढ़िया शेर , पूरी नज़्म ही सौंदर हुई है । बधाई आपको । 

Comment by sanju shabdita on September 27, 2013 at 8:58pm

adarneeya admin ji namaskar... aapse nivedan hai ki es ghazal se ''wo saza bar- bar karta hai ''wala sher hata dijiye aapki kripa hogi.  sadar

Comment by वीनस केसरी on September 27, 2013 at 8:49pm

है भला क्या तेरी परेशानी
बावफ़ा जो हुआ नहीं जाता

इस एक शेर में प्यार, मनुहार, झिडकी, प्रश्न, गुस्सा, आक्रोश, निराशा, हताशा, उलझन के साथ और न जाने कितने ही रंगों को महसूस किया जा सकता है
शेर जब इतना सादा ज़बान हो, मानवीय संवेदनाओं के सभी रंगों को समेटे हुए भी पानी के जैसा रंगहीन हो तो पाठक और श्रोता अदायगी पर झूम झूम जाते हैं .... मैं भी झूम रहा हूँ
इस एक शेर ने मुकम्मल ग़ज़ल को संभाल लिया है
बधाई

मतला में इता दोष है जिससे बचना जरूरी है ... 
शुभकामनाएं

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 5:02pm

सुन्दर ग़ज़ल //हार्दिक बधाई आदरणीया संजू जी !!

Comment by Abhinav Arun on September 27, 2013 at 4:31pm

देश का हाल जो हुआ है अब
चुप तो मुझसे रहा नहीं जाता

चुन के मारो सभी  दरिन्दों को
माफ इनको किया नहीं जाता

वो खता बार- बार करता है
फिर सज़ा क्यूँ दिया नहीं जाता

                             .... सुन्दर सशक्त तेवर की ग़ज़ल हार्दिक बधाई संजू जी !!

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