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दोहा २ (जीवन चक्र )

समय बड़ा बलवान है ,देता सबको सीख !
पड़ जाती है माँगनी ,राजा को भी भीख !!१

अपना अपना बोलकर ,भरते अपना पेट !
मानवता भी चढ़ गयी ,यहाँ स्वार्थ की भेंट !!२

जहर उगलते है यहाँ ,आपस में ही लोग!
फिर कैसे सौहार्द हो ,कैसे जाये रोग !!३

अज्ञानी देने लगा ,जबसे सबको ज्ञान !
ऐसे मूर्ख समाज का ,कैसे हो कल्यान !!४

ऊँच नींच कोई नहीं ,सुन ईश्वर पैगाम !
बड़े प्रेम से खा गए ,सबरी के फल राम !!५

पैसे से होती यहाँ ,सबकी अब पहचान !
पैसा ही माँ बाप है ,पैसा ही भगवान !!६

क्या होती है भुखमरी,वो क्या जानें तात !
जिसने काटा ही नहीं ,भूखे दिन या रात !!७

दुनियाँ के बाज़ार में ,एक विचित्र दुकान !
मानव मानव को ठगे ,मानव या शैतान !!८

मानव कितना मूर्ख है ,कर बैठा है भूल !
फूल तोड़ने को चला ,बोया जहाँ बबूल !!९

लोग प्रेम में कर रहे ,देखो अब अनुबंध !
कम ही दिखता है मुझे ,प्यारा मृदु सम्बन्ध !!१०
*************************************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 832

Comment

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Comment by ram shiromani pathak on September 7, 2013 at 1:10pm

बहुत  बहुत  आभार  आदरणीय भाई अरुण शर्मा   जी,आपकी टिप्पणी  से बहुत बल मिलता  है   ,//स्नेह यूँ ही बनाये रखें //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 7, 2013 at 1:08pm

बहुत  बहुत  आभार  आदरणीया मीना पाठक  जी,आपकी टिप्पणी  से बहुत बल मिला  ,//स्नेह यूँ ही बनाये रखें //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 7, 2013 at 1:07pm

बहुत  बहुत  आभार  आदरणीया वन्दना  जी ,//स्नेह यूँ ही बनाये रखें //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 7, 2013 at 1:07pm

बहुत  बहुत  आभार  आदरणीया सरिता भाटिया  जी ,//स्नेह यूँ ही बनाये रखें //सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 7, 2013 at 11:41am

वाह वाह अनुज अप्रितम दोहावली लाजवाब आनंद आ गया भाई दिल से ढेरों बधाइयाँ एक से बढ़कर एक दोहे वाह वाह.

Comment by Meena Pathak on September 7, 2013 at 9:39am

मानव कितना मुर्ख है ,कर बैठा है भूल !
फूल तोड़ने को चला ,बोया जहाँ बबूल !!९........उम्दा, अद्भुत, अद्वितीय

हार्दिक बधाई

Comment by vandana on September 7, 2013 at 7:04am

लोग प्रेम में कर रहे ,देखो अब अनुबंध !
कम ही दिखता है मुझे ,प्यारा मृदु सम्बन्ध !!

सभी दोहे बहुत बढ़िया आदरणीय पाठक साहब 

Comment by Sarita Bhatia on September 7, 2013 at 12:00am

वाह राम भाई जबरदस्त दोहावली ,बधाई स्वीकारें 

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