For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शब्द नहीं आते है ( कविता )

शब्द नहीं आते है

 

देख दुर्दशा   

सुन कर व्यथा

गूँजता करुण क्रंदन  

न पिघला मानव मन

कुछ कहने को शब्द नहीं आते है ....

लुट रही अस्मिता

मिट रहा सुहाग

छिन रहे माँओ के लाल

रक्तरंजित हो रही धरा

व्यथा सुनाने को शब्द नहीं आते है .......

जन्मांध न होकर भी जो

बन चुके धृतराष्ट्र

हलक तक शुष्क हो चला  

जिह्वा चिपक गई तालु से

पुकार लगाने को शब्द नहीं आते हैं ..........

द्रौपदी तब थी आज भी है

परंतु आज कृष्ण नहीं आते है

संवेदना हीन समाज

जगाने को राम नहीं आते है

क्या लिखूँ ...... शब्द नही आते है............

 

अन्नपूर्णा बाजपेई

 

अप्रकाशित एवं मौलिक

Views: 665

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on September 26, 2013 at 5:07pm

आदरणीय कुशवाहा जी आपका आभार । 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on September 26, 2013 at 3:55pm

वाकई में शब्द नहीं 

वाह, बधाई 

Comment by annapurna bajpai on September 2, 2013 at 2:24pm
आ० जितेंद्र जी हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by annapurna bajpai on September 2, 2013 at 2:24pm
आ० केवल भाई जी आपका हार्दिक आभार ।
Comment by annapurna bajpai on September 2, 2013 at 2:16pm

 हार्दिक आभार आ0 गीतिका जी ।

 

Comment by annapurna bajpai on September 2, 2013 at 2:15pm
आ0 लक्ष्मण जी आपका हार्दिक आभार ।
Comment by annapurna bajpai on September 2, 2013 at 2:13pm
आ0 मीना जी आपका आभार ।
Comment by annapurna bajpai on September 2, 2013 at 12:50pm

आ० आदित्य जी आपका आभार ।

Comment by annapurna bajpai on September 2, 2013 at 12:48pm
आदरणीया विनीता जी आपका आभार ।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 1, 2013 at 11:26pm

भावनाओं को व्यक्त करती अनुपम रचना, बहुत बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
4 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service