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ग़ज़ल : ध्यान रहे सबसे अच्छा अभिनेता है बाजार

बह्र : मुस्तफ़्फैलुन मुस्तफ़्फैलुन मुस्तफ़्फैलुन फा

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छोटे छोटे घर जब हमसे लेता है बाजार

बनता बड़े मकानों का विक्रेता है बाजार

 

इसका रोना इसका गाना सब कुछ नकली है

ध्यान रहे सबसे अच्छा अभिनेता है बाजार

 

मुर्गी को देता कुछ दाने जिनके बदले में

सारे के सारे अंडे ले लेता है बाजार

 

कैसे भी हो इसको सिर्फ़ लाभ से मतलब है

जिसको चुनते पूँजीपति वो नेता है बाजार

 

खून पसीने से अर्जित पैसो के बदले में

सुविधाओं का जहर हमें दे देता है बाजार

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(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by vijayashree on August 31, 2013 at 11:44pm

बाज़ारीकरण पर  एक सुंदर  वास्तविक अभिव्यक्ति

बधाई स्वीकारें धर्मेन्द्र जी  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 31, 2013 at 8:29pm

वर्तमान व्यवस्था को चित्रित करती शानदार ग़ज़ल ..आदरनीय धेर्मेंद्र जी हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 31, 2013 at 4:36pm

कैसे भी हो इसको सिर्फ़ लाभ से मतलब है

जिसको चुनते पूँजीपति वो नेता है बाजार.......सच! स्वार्थ को स्पष्ट करता हुआ शेर

बहुत प्रभावी गजल, बहुत बहुत बधाई आदरणीय धर्मेन्द्र जी

Comment by Shyam Narain Verma on August 31, 2013 at 1:11pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 31, 2013 at 11:10am

धर्मेन्द्र भाई , बाज़ार की वास्तविकता उजागर करती , एक अच्छी  गज़ल के लिये बधाई !

खून पसीने से अर्जित पैसो के बदले में

सुविधाओं का जहर हमें दे देता है बाजार !!!

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