!!! यही ‘सत्यम’ शिवम् सुन्दर हुआ है !!!
बह्र- 1222 1222 122
सकल दुनिया दिखाता जा रहा हूं।
कयामत का सफर सुलझा रहा हूं।।
मेरे मौला मैं तुझको क्या बताऊं,
रूहानी पीर के जैसा रहा हूं।
तेरी चौखट सदा मुझको लुभाती,
कभी तीखा कभी मीठा रहा हूं।
जहां में और भी गम हैं कहूं क्या?
जहां मेला वहीं तन्हा रहा हूं।
मेरी मां ने कहा था सुब्ह उठकर,
पिलाना आब, वो दरिया रहा हूं।
अमीरी छोड़ कर मुफलिस कहाऊं,
तेरे सद् द्वार का सच्चा रहा हूं।
नहीं भाता मुझे अब कोई वादा,
सदा कर्मो में मैं डूबा रहा हूं।
तेरी उल्फत में रंजो गम भुला कर,
अभी तक प्यार को समझा रहा हूं।
बयानी का सदा दस्तूर आसां,
यहां मजहब लड़ें पछता रहा हूं।
कड़ी मिन्नत दुआ बनकर फली जो,
तेरी यादों से दिल बहला रहा हूं।
यही ‘सत्यम’ शिवम् सुन्दर हुआ है,
दया करूणा लुटा हॅसता रहा हूं।
के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित
Comment
गज़ल पर आपने प्रयास किया, चलिए यहां आप हमसे अधिक हिम्मतवाले निकले, मैं रिदम पर चलने वाला आदमी हूं वो गड़बड़ लगी तो जरूर कहूंगा । आपकी इस गज़ल में हिंदी-उर्दू शब्दों का मेल-मिलाप मुझे जंचा नहीं । प्रवाह में पहली दो पंक्ति ही गच्चा दे गई । खैर आप लगे तो हैं जो अपने आप में बड़ी बात है । थोड़ी अपेक्षा ज्यादा रखता हूं, सादर
आदरणीय केवल भाई आपका परिश्रम रंग ला रहा है बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है कुछ शे'रों में तकाबुले रदीफ़ का दोष है कृपया उन्हें सुधार लें. इस शानदार ग़ज़ल पर ढेरों बधाई स्वीकारें.
आ0 जवाहर भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से हार्दिक आभार। सादर,
वाह वाह ..सत्यम शिवम सुन्दरम! बधाई!
वाह वाह ..सत्यम शिवम सुन्दरम! बधाई!
आ0 जितेन्द्र भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार। सादर,
आ0 भण्डारी भाई जी, आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका अतिशय हार्दिक आभार। सादर,
आदरणीय केवल जी , बहुत बढ़िया गजल , हार्दिक बधाई स्वीकारें
केवल भाई , बड़ी अच्छी गज़ल हुई , वाह वाह !! बधाई !!
मेरी मां ने कहा था सुब्ह उठकर,
पिलाना आब, वो दरिया रहा हूं। ---------- वाह वाह !!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online