"अबे तेरा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया ? बेगानों का साथ देकर अपनों से गद्दारी करेगा?
"वो साले बेगाने ज़रूर हैं, लेकिन दिहाड़ी भी तो डबल देते हैं."
Comment
आदरणीय योगराज सर , पैसे के लिए किसी के भी हाथ का खिलौना बन लोग समाज ,देश को नुकसान करने में नही चुक रहे है , इस लघु कथा के द्वारा बहुत सही इंगित की है आपने , बधाई स्वीकार करे
लाजवाब !!!! आदरणीय योगराज जी !! आज के समाज का नंगा सच यही है , गलती किसकी है ये बहस का विषय है , पर सच तो यही है कि अब पैसा ही इमान है धर्म है !!
बढ़िया लघु कथा आदरणीय योगराज सर जी।
चाहे असंवेदना साबित हो या लालच,,, लेकिन एक संदेश शाश्वत है "भूख का धर्म केवल खाना है"
बहुत बहुत बधाई आदरणीय योगराज जी! शानदार रचना के लिए !!
आदरणीय प्रभाकर जी आज के परिवेश को उजागर करती आपकी लघु कथा बहुत ही बढ़िया है , बधाई आपको ।
आदरणीय वाह बेहद सुन्दर लघु कथा, वर्तमान में लोगों को सिर्फ पैसा ही नज़र आ रहा है उनके हिसाब से घर में पैसा आना चाहिए. चाहे तो अच्छे कामों से आये या गलत, जान भी जोखिम में डालनी पड़ जाये तो पड़ जाये किन्तु पैसा हो आना ही चाहिए. आदरणीय दिल से ढेरों बधाई स्वीकारें बड़ी गहरी बात कह दी आपने लघु कथा के जरिये.
पेट के लिए ईमान धर्म बेच देते हैं सच पूछो तो इनका कोई दीन धर्म मजहब होता ही नहीं असंवेदन शील होते हैं ये लोग जहां हड्डियां मिली कूद पड़ते हैं वहां चिंचोड़ने के लिए ,बहुत गहराई से कम शब्दों में चोट की इस मुद्दे पर आदरणीय योगराज जी बहुत बढ़िया लघु कथा लिखी हार्दिक बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online