For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कब तलक लोगों को लूटते जाओगे ,

वो दिन कब आएगा जब पछताओगे !

जिनकी दुआओं से राजा बन बैठे हो ,

उनकी ही नज़र से एक दिन गिर जाओगे !

मंदिर मज़्जिद के नाम पे खूब लूटा ,

एक दिन वहां भी दरवाज़ा बंद पाओगे !

रूह भी छोड़ देगी इस गंदे जिस्म को ,

फिर इस जिस्म को लेकर कहाँ जाओगे!

सिकंदर भी ना ले जा पाया जहाँ से 

खाली हाँथ आये थे खाली हाँथ जाओगे !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक "
मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 449

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 8:46pm

बहुत  बहुत  आभार  आदरणीया मंजरी पाण्डेय जी,स्नेह यूँ ही बनाए रखें  //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 8:46pm

बहुत  बहुत  आभार  आदरणीय सुरेन्द्र  कुमार शुक्ल जी,स्नेह यूँ ही बनाए रखें  //सादर 

Comment by mrs manjari pandey on August 25, 2013 at 3:09pm

   आदरणीय शिरोमणि पाठक जी प्रस्तुति पर बधाई

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 23, 2013 at 10:57pm

रूह भी छोड़ देगी इस गंदे जिस्म को ,

फिर इस जिस्म को लेकर कहाँ जाओगे!

प्रिय शिरोमणि जी ..आइना और दीपक दिखाती चेतावनी देती अच्छी रचना काश लोगों की आँखें अब भी खुलें
भ्रमर ५

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:10pm

हार्दिक  आभार आदरणीय अरुण शर्मा जी,अमूल्य सुझाव के लिए बहुत आभारी हूँ  आपका  //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:09pm

हार्दिक  आभार आदरणीय जीतेन्द्र  जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on August 22, 2013 at 9:08pm

हार्दिक  आभार आदरणीय गिरिराज  जी //सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 22, 2013 at 11:32am

बेहद सुन्दर नज्म अनुज किन्तु थोड़ी कसावट की कमी प्रतीत हो रही है. बहरहाल प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 21, 2013 at 4:47pm

सुंदर रचना अभिव्यक्ति , बधाई राम भाई जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 21, 2013 at 11:31am

वर्तमान को बयां करती एक अच्छी नज़्म् !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service