For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर चुनावी दौर शायद आ रहा है

फिर चुनावी दौर शायद आ रहा है

द्वेष का बाज़ार फिर गरमा रहा है 

 

मेंमने की खाल में है भेड़िया जो

बोटियों को नोंच सबकी खा रहा है

 

इस तरह से सच भी दफ़नाया गया अब 

झूठ को सौ बार वो दुहरा रहा है

 

क्या वफ़ादारी निभायी जा रही है

देवता, शैतान को बतला रहा है

 

बोझ दिल में सब लिए अपने खड़े हैं

ख़ुद-से ही हर शख़्स अब शरमा रहा है 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 547

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on August 27, 2013 at 8:23pm

अदरणीय सौरभ जी बहुत  शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए तथा मार्गदर्शन के लिए 

आभार....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2013 at 7:49pm

क्या वफ़ादारी निभायी जा रही है

देवता, शैतान को बतला रहा है

भाई नादिर खानजी, आपकी ग़ज़ल पर दिल दाद कह रहा हूँ.  यह अवश्य है कि हाट शब्द स्त्रीलिंग क्रिया के साथ संतुष्ट होता है. बोलचाल में भले हाट लगा दिया जाय. वस्तुतः वह लगायी ही जाती है.

मतले के सानी को  द्वेष का बाज़ार फिर गरमा रहा है  किया जा सकता है.

एक अरसे के बाद आपको देख रहा हूँ, अच्छा लगा. 

शुभेच्छाएँ

Comment by नादिर ख़ान on August 20, 2013 at 5:00pm

अदरणीय रविकर जी आपका तो कोमेंट्स देने का अंदाज़ भी निराला है ।

अपने अपने अंदाज़ से समझा भी दिया।

बहुत बहुत शुक्रिया....

Comment by नादिर ख़ान on August 20, 2013 at 4:56pm

शुक्रिया ram shiromani pathak जी 

Comment by रविकर on August 20, 2013 at 2:19pm

हाट सजा हटिया सजी, बजा अनोखा राग |
लिंग दोष दीखे नहीं, गजल लगी बेदाग़ ||

Comment by ram shiromani pathak on August 20, 2013 at 2:16pm

 सुन्दर रचना //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by राज़ नवादवी on August 20, 2013 at 9:37am

नादिर भाई, शुक्रिया की क्या बात है! हाँ, शब्दकोश अथवा लुगात देखना बेहतर है. www.hinkhoj.com अथवा www.shabdkosh.comजैसी साइट्स भी रेफर कर सकते हैं. 

Comment by नादिर ख़ान on August 19, 2013 at 5:21pm

राज़ भाई कोमेंट्स के लिए शुक्रिया जहाँ तक मुझे याद पड़ता है, हाट गाँव में बाज़ार को कहते हैं। हमारे ख़याल से तो हाट,बाज़ार पुरलिंग ही है।।(अभी -अभी हमने 1 दोस्त से कन्फ़र्म भी किया है) वैसे कोयी और साथी इस पर टिप्पणी करें तो और क्लियर हो जाएगा वैसे सभी दोस्तों का सुझाओ सर आंखो पर... हम तो अभी कलम पकड़ना सीख रहे हैं । 

Comment by राज़ नवादवी on August 19, 2013 at 4:41pm

अच्छा प्रयास है नादिर भाई. मगर देख लें. संभवतः 'हाट' शब्द स्त्रीलिंग है. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service