For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सावन की कसम 

कसक  उठी मन में

तार दिल के झनझना दिये.

बारिश की फुहारों ने

तपते बदन को छू

नस नस में तूफ़ान मचा दिये.

उफ़ ! सावन के इस ग़दर ने

प्रियतम की प्यास बढ़ाकर

मस्तिष्क की तरंगों को

कई गुना शून्य लगा दिये.

अब तुम आ जाओ प्रिये

एक एक पल न गुजर रहे ,

तुम्हे सावन की कसम

जो यदि नज़र फेर चल दिये.

 

-दिनेश सोलंकी 

स्वरचित और अप्रकाशित 

Views: 560

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 14, 2013 at 2:56pm

अच्छा प्रयास. . संयत प्रस्तुति हेतु सधा हुआ प्रयास करें, आदरणीय.

बारिश की फुहारों ने

तपते बदन को छू

नस नस में तूफ़ान मचा दिये. ... .  किस लिहाज से ये पंक्ति देखूँ ?

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 12, 2013 at 8:16pm

सावन और विरह के भाव..

सुन्दर प्रस्तुति 

हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 11, 2013 at 5:12pm

बहुत सुंदर चित्रण , सावन में विरह वेदना का

आदरणीय दिनेश जी हार्दिक बधाई

Comment by annapurna bajpai on August 11, 2013 at 1:23pm

आदरणीय दिनेश जी सुंदर भावों के साथ सावन को पीआरअस्तुत करने के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 11, 2013 at 12:44pm

आदरणीय दिनेश जी सावन में प्रियतमा से विरह की वेदना का सुन्दर वर्णन किया है आपने हार्दिक बधाई इस सुन्दर रचना पर

Comment by Vasundhara pandey on August 10, 2013 at 10:47pm

बहुत ही सुन्दर सावन की कसक...बधाई !

Comment by Shyam Narain Verma on August 10, 2013 at 1:19pm
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको......................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
16 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी ठीक है  मशविरा सब ही दे रहे हैं पर/ मगर ध्यान रख तेरे काम का क्या है ।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई आपको।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सम्माननीय ऋचा जी । बहुत बहुत आभार"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। आदरणीय ग़ज़ल तक आने व बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service