For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

तुम कलकल कलरव की हो गान

हो लिपटे बेलों की वितान

तुम वसुन्धरा की शोभा हो

हे आन मान सरिता महान

तुझमे दिखता जीवन सारा

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

तुझमे निज-छवि लखते उडगन

यह विम्ब देख हर्षाता मन

सुषमा ऐसी नयनों मे बसा

रहता बस मे किसका तन मन

दिखता तुझमे चन्दा प्यारा

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

हे मिट्टी की सोंधी सुगन्ध

बाँधे सबको जो पाश बन्ध

तुम अद्भुत और अलौकिक हो

बाँधेगी तुमको कौन छन्द

छन्दों की नही ऐसी कारा

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

हे रश्मि प्रभा मे श्वेत जाल

अनुपम मनोहारी चन्द्रभाल

उर्वशी रेणुका सी लगती

(तुम स्वयं अप्सरा सी लगती)

यौवन धारे कंचुक विशाल

वह तुमसे कौन नही हारा

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

आशीष यादव

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 6, 2013 at 8:56pm

आशीष जी रचना भावमयी और प्रवाहमयी है| बधाई स्वीकारें| दो सुझाव हैं 

पाश और बंध दोनों एक ही चीज है 

"छंद" और "कारा" को पुल्लिंग माना गया है|

Comment by Meena Pathak on August 6, 2013 at 1:00pm

सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें 

Comment by Vasundhara pandey on August 6, 2013 at 12:59pm

कल-कल सी अद्भुत रचना...!!

Comment by विजय मिश्र on August 6, 2013 at 12:35pm
कविता का प्रवाह भी सरिता की तरह ही मन हर्षित करता है .आभार भाई आशीषजी .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 6, 2013 at 12:24pm

हे मिट्टी की सोंधी सुगन्ध

बाँधे सबको जो पाश बन्ध

तुम अद्भुत और अलौकिक हो

बाँधेगी तुमको कौन छन्द

छन्दों की नही ऐसी कारा

हे शान्त स्निग्ध जल की धारा

 

सुंदर शब्दों से सुसज्जित रचना पर, हार्दिक बधाई आदरणीय आशीष जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Feb 1
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Feb 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Feb 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service