For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मै हूँ राष्ट्रपुरुष भारत, मै कवि के मुख से बोल रहा हूँ

पर्वत राज हिमालय जिसका मस्तक है

जिसके आगे बड़े बड़े नतमस्तक है

सिन्धु नदी की तट रेखा पर बसा हुआ

गंगा की पावन धारा से सिंचित है

जिसको तुम सोने की चिड़िया कहते थे

छोटे बड़े जहाँ आदर से रहते थे 

जहाँ सभी धर्मो को सम्मान मिला

जहाँ कभी न श्याम श्वेत का भेद  हुआ

जिसको राम लला की धरती कहते है

गंगा यमुना सरयू जिस पर बहते है

जिस धरती पर श्री कृष्णा ने जन्म लिया

जहाँ प्रभु ने गीता जैसा ज्ञान दिया

जहाँ निरंतर वैदिक मन्त्रों का उच्चारण होता था

जहाँ सदा से हवन यज्ञ वर्षा कर कारण होता था

जिसके चारो धाम दुनिया भर का आकर्षण हो

जिस धरती पर बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन हो

जिसके ग्रंथो में सारा विज्ञानं था

जिसको नहीं तनिक इस पर अभिमान था

जिसको आर्यावर्त का नाम मिला था जी

विश्वगुरु का भी का सम्मान मिला था जी

किन्तु दशकों गुजर गये मैं मौन हूँ

क्या अब भी परिचय दूँ के मै कौन हूँ

मै अतीत को वर्तमान से समय तुला पर तोल रहा हूँ

मै हूँ राष्ट्रपुरुष भारत, मै कवि के मुख से बोल रहा हूँ

 

 

मेरी गरिमा मेरा गौरव तक  घायल है

रक्षक के हाथों में चूंडी पैरों में पायल है

मेरी हर बेटी झांसी की रानी थी

त्याग तपस्या की दुनिया दीवानी थी

अब लगता धरती वीरों से खाली है

मेरी नव सन्तति ही लगती जाली है 

संसद लगती है मंडी नक्कालो की

नेताओं की जाती है घड़ियालो की

जो जनता को संप्रदाय में बाँट रहे है

मुझको छेत्र वाद के नाते काट रहे है

मेरे कंकर शंकर गंगाजल बिंदु है

मानव नहीं पशु पक्षी तक हिन्दू है

हिंदी मेरे जन जन की निज भाषा है

संस्कृति को जीवित रखने की आशा है

मेरी जनता वैदिकता की अनुयायी थी

धर्म सनातन ने दुनिया अपनाई थी

हिन्दू संस्कृति सब धर्मो का मूल है

मेरी सभ्यता ही सबके अनुकूल है

मेरे ही कारण सब आज सुरक्षित है

वैदिक धरती पर मुस्लिम आरक्षित है

मेरा केवल तुमसे इतना अनुरोध है

हिन्दू विरोध केवल एक आत्म विरोध है

 

मै अतीत को वर्तमान से समय तुला पर तोल रहा हूँ

मै हूँ राष्ट्रपुरुष भारत, मै कवि के मुख से बोल रहा हूँ

 

 

 

मेरे सिंघासन पर नेता या अभिनेता है

मानवता के मूल्यों का विक्रेता है

जिसको मेरी भाषा तक न आती है

पूरे का पूरा शासन अपराधी है

मेरी सीमाओं में शत्रु घुसते है

सच कहता हूँ दिल में कांटे चुभते है

संविधान क्या राजनीति की दासी है

मेरी आँखे न्याय की अभिलाषी है 

ये ना समझो मैंने कुछ न देखा है

मेरे पास हर गलती का लेखा है

तुम प्रतिपल अपराध करोगे

क्या सोचा है बच  जाओगे

गंगा नहा कर, दर पर आकर

देवालय में शीश नवाकर बच जाओगे

माफ़ हो गई सारी गलती, भूले कल की

भूल गए केदार नाथ में, महाविनाश की झलकी

मत भूलो मै अन्नदाता दाता हूँ

मत भूलो मै ही विधाता हूँ

मेरे सच्चे पुत्रों ने शीश चढाया है

हिन्दू कुश का ध्वज न झुकने पाया है

किसका साहस मेरे ध्वज को मेरी धरती पर फाड़ दिया

तुम सुन ना सके, मै चीन्खा था , सीने में चाक़ू गाड दिया

 

मै अतीत को वर्तमान से समय तुला पर तोल रहा हूँ

मै हूँ राष्ट्रपुरुष भारत, मै कवि के मुख से बोल रहा हूँ

 

 

 

मेरी नजरों में सारे अपराधी है

कोई एक नहीं सब के सब दागी है

रिश्वत लेना कोरी भ्रष्टाचारी है

रिश्वत देना भी मुझसे गद्दारी है

हर दिन लुटता चीर यहाँ अबलाओ का

लुटता है योवन जबरन बालाओं का

और सदा बालाएं भी निष्पाप नहीं

होती है घटनाये अपने आप नहीं

अपनी ही गलती विनाश का कारण बन जाती है

भारत के लिए कलंकित उदाहरण बन जाती है

राजनीति का रथ समता पर चलता है

सूरज केवल पूरब से ही निकलता है

कैसे मै विश्वास करूँ केवल सत्ता की गलती है

गलती तो जनमत की है, पांच बरस तक फलती है

लोकतंत्र में राजनीती जनमत की जिम्मेदारी है

अपना नायक चुनने की जनता खुद ही अधिकारी है 

भ्रष्टाचार की अग्नि को गर जनता हवा नहीं देगी

तो खानों पर्वत नदियों को  कुर्सी पचा नहीं लेगी

जनता और सत्ता में भी फिर समता हो जाएगी

जनता सत्ता से जवाब की अधिकारि हो जाएगी

 

मै अतीत को वर्तमान से समय तुला पर तोल रहा हूँ

मै हूँ राष्ट्रपुरुष भारत, मै कवि के मुख से बोल रहा हूँ

 

"मौलिक व अप्रकाशित"

शब्दकार : आदित्य कुमार 

 

Views: 1054

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aditya Kumar on August 5, 2013 at 7:32pm

 बृजेश नीरज जी शर्मिंदा न करिए अटल जी से तुलना कर के " अटल जी मेरे प्रेरणा स्त्रोत है " वो ऐसा नहीं लिखते वरन मै ऐसा प्रयास करता हूँ के उनके काव्य के किसी छोर को भी छु सकूँ। उनके नाम का वर्णन मै सबसे अधिक करता हूँ क्योकि मै उनके पद चिन्हों पर चलना चाहता हूँ। 

Comment by Aditya Kumar on August 5, 2013 at 7:17pm

आदरणीय गीतिका 'वेदिका'  जी बधाई के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद् और मै आपके सुझावों का सहृदय स्वागत करता हूँ। मात्रिक त्रुटी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ और काव्य में एक ही अर्थ के दो शब्दों का एक ही स्थान पर प्रोयोग केवल छंदात्मकता अवं लय बनाये रखने के लिए किया है वैसे छंदों का तो मुझे ज्ञान कम ही है बस मैंने तो भावातिरेक को कविताबध करने का प्रयास किया है 

Comment by बृजेश नीरज on August 5, 2013 at 7:14pm

अटल जी भी ऐसा ही लिखते हैं ये जानकर प्रसन्नता हुई।

Comment by वेदिका on August 5, 2013 at 6:53pm

मेरी गरिमा मेरा गौरव तक  घायल है ........मेरा विचार है की गरिमा ही गौरव है, तोल का सही उच्चारण तौल है 

ओज पूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारिये आदरणीय आदित्य जी! 

Comment by Aditya Kumar on August 5, 2013 at 3:07pm

बधाई के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद्  aman kumar जी। श्री हरिओम पंवार जी अवं अटल जी मेरे सदा से ही प्रेरणा दाई रहे है। उनको बहुत अधिक पढने और सुनने के कारण उनकी शैली मेरे काव्य प्रयास में शायद परिलक्षित होती है अन्यथा उनके समक्ष तो शायद मेरा कही अस्तित्व ही नहीं है।  

Comment by aman kumar on August 5, 2013 at 2:09pm

 महान रास्त बादी कवि हरिओम पवार मेरठ की याद आ गयी आपको पडकर 

बधाई हो !

Comment by Aditya Kumar on August 5, 2013 at 12:46pm

माननीय श्री  जितेन्द्र 'गीत' जी  बधाई के लिए हार्दिक आभार 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 5, 2013 at 12:19pm

आदरणीय आदित्य कुमार जी, रचना अभिव्यक्ति पर, हार्दिक बधाई

Comment by Aditya Kumar on August 5, 2013 at 11:43am

हार्दिक आभार आपका अग्रज  बृजेश नीरज JI

Comment by Aditya Kumar on August 5, 2013 at 11:42am

हार्दिक आभार आपका अग्रज Shyam Narain Verma JI

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service