For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम के कवित्त - (रवि प्रकाश)

1.धार तू,मझधार तू,सफ़र तू ही,राह तू,
घाव तू,उपचार तू,तीर भी,शमशीर भी।
जाने कितने वेश है,दर्द कितने शेष हैं,
गा चुके दरवेश हैं,संत ,मुर्शिद,पीर भी।
ध्वंस किन्तु सृजन भी,भीड़ तू ही,विजन भी,
छंद है स्वच्छन्द किन्तु,गिरह भी,ज़ंजीर भी।
भाग्य से जिसको मिला,उसे भी रहता गिला,
पा तुझे बौरा गए,हाय,आलमगीर भी॥

 

 
2.डूब चले थे जिनमें,उनसे ही पार चले,
जिनमें थे हार चले,वो पल ही जीत बने।
कितने साँचों में ढले,सारे संकेत तुम्हारे,
कुछ ग़ज़लों में पले,कुछ नवगीत बने।
पथ भूले,पगलाए,जग से विलग हुए,
पा कर तुझको हाय! हम अविनीत बने।
परिमल कैसे छूटे,आराधन कैसे टूटे,
जब तुम सा मायावी,मेरा मनमीत बने॥

मौलिक व अप्रकाशित।

Views: 542

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2013 at 11:19pm

भाई रवि प्रकाश जी,   प्रयास हेतु धन्यवाद.  अच्छा प्रयास हुआ है. 

कवित्त यानि घनाक्षरी में सदा एक तथ्य याद रखियेगा कि यह वर्णिक छंद होता है और प्रयुक्त शब्दों के अक्षरों को लघु गुरु आदि के कुछ  नहीं बताता.  यानि सुगढ शब्द संयोजन का दायित्व रचनाकार पर ही होता है.  यदि शब्दों का सुरुचिपूर्ण संयोजन न हुआ तो वाचन आनन्द नहीं कष्टप्रद होजाता है.

शब्द संयोजन में भी  सम विषम विषम  या विषम सम विषम के संयोजन से बचना चाहिये.

इस हिसाब से अपनी प्रस्तुति को देखिये. 

शुभेच्छाएँ

Comment by Ravi Prakash on July 31, 2013 at 7:52pm
thanks mishra ji.
Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 31, 2013 at 4:58pm

ravi jee aapkee rachna mujhe behad pasand aayee..chuninda khoobsurat alfaajon roopee pushp ke is guldaste ke liye hardik badhaaayee 

Comment by Ravi Prakash on July 31, 2013 at 12:51pm
thanks geet ji.
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 31, 2013 at 11:40am

.डूब चले थे जिनमें,उनसे ही पार चले,
जिनमें थे हार चले,वो पल ही जीत बने।
कितने साँचों में ढले,सारे संकेत तुम्हारे,
कुछ ग़ज़लों में पले,कुछ नवगीत बने।........कविता में ये पंक्तियां बहुत खुबसुरत हैं

आदरणीय रवि जी, रचना पर हार्दिक बधाई

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on July 31, 2013 at 12:31am

पथ भूले,पगलाए,जग से विलग हुए,
पा कर तुझको हाय! हम अविनीत बने anupam bhavabhiyakti. Naman aapki lekhni ko. Badhaiyaa

Comment by Ravi Prakash on July 30, 2013 at 7:16pm
आपका आकलन सटीक और परिपक्व होता है।धन्यवाद।
Comment by अरुन 'अनन्त' on July 30, 2013 at 4:10pm

भाई रवि प्रकाश जी आपकी कविता के भाव बेहद सुन्दर होते हैं पढ़कर आनंद आता है, इसमें तनिक जल्दबाजी प्रतीत हो रही है. खैर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें.

Comment by annapurna bajpai on July 29, 2013 at 3:07pm

जिनमें थे हार चले,वो पल ही जीत बने।

bahut hi sunadar , badhai , adarniy .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service