For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत (राजेश कुमार झा)

इक औरत सी तन्‍हाई को

जब यादें कंधा देती हैं

दीर्घ श्‍वांस की

चंड मथानी

मथ जाती

देह-दलानों को

टूटे प्‍याले

रोज पूछते

कम-ज्‍यादा

मयखानों को

गलते हैं हिमखण्‍ड कई पर

धारा कहां निकलती है

नि:शब्‍द सुलगती

रात पसरती

उष्‍ण रोध दे

प्राणों को

कौन रिफूगर

टांक सकेगा

इन चिथड़े

अरमानों को

कैसे पाउं मंजिल ही जब

पल-पल जगह बदलती है

कीर्ण आस भी

चली रसातल

भुवन-भार दे

तानों को

पीत-पर्व के

तिरते बादल

करते चूर

निशानों को

होता मैं दाधीच अस्थियां

लेकिन सहज पिघलती हैं

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 796

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on July 12, 2013 at 2:20pm

आदरणीय डॉ0 आशुतोष जी, कठिन शब्‍दों की जगह सरल शब्‍द रखने का पूरा प्रयास करूंगा क्‍योंकि इससे संप्रेषण बाधित होता है ऐसा मेरा मानना है, यह कमी दूर करने का जरूर प्रयास करूंगा, आप ऐसे ही मार्गदर्शन करते रहें, सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on July 12, 2013 at 2:17pm

आदरणीया महिमा जी, आपका हार्दिक आभार

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 12, 2013 at 8:10am

आदरनीय राजेश जी .आपका नवगीत बार बार पढ़ा..बहुत ही अच्छा लगा ..लेकिन  यदि कुछ कठिन शब्दों के अर्थ भी साथ में दिए जाए तो पढने के आनंद में चार चाँद लग जाएँ और सीखने के लिए कुछ नए शब्द मिल जाएँ ..आपके इस शानदार प्रयास पर हार्दिक बधाई ..सादर 

Comment by MAHIMA SHREE on July 11, 2013 at 10:23pm

..

इक औरत सी तन्‍हाई को

जब यादें कंधा देती हैं... बहुत ही सुंदर नवगीत आदरणीय राजेश जी .. कई बार पढ़ गयी ..बहुत -२ बधाई आपको

Comment by राजेश 'मृदु' on July 11, 2013 at 6:27pm

आदरणीया प्राची जी, आपका आभार, पर ओबीओ टीम के सदस्‍यों से केवल तारीफ की अपेक्षा नहीं रहती, कुछ मार्गदर्शन करें तब तो बात बने, सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 11, 2013 at 6:21pm

बहुत खूबसूरत नवगीत लिखा है आ० राजेश झा जी 

बहुत बहुत बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2013 at 5:16pm

// आशा है आपका मार्गदर्शन सबके लिए समान रूप से लाभदायक होगा//

अभी तक तो इस अकिंचन का प्रयास ऐसा ही रहा है, आदरणीय. 

इसके अलावे भी आपने कुछ देखा अथवा अनुभव किया है क्या ? यदि हाँ, तो आप मेरे असहज समर्थन या अनदखे को अवश्य समक्ष कीजियेगा, ताकि मैं अपने में सार्थक सुधार ला सकूँ.  हमने किसी असहजता को सायास समर्थन नहीं दिया है.

सर्वोपरि, यह परस्पर सीखने-सिखाने का ही तो मंच है.

सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on July 11, 2013 at 5:07pm

आदरणीय, आपकी नजर में स्‍कैनर लगा हुआ है, कितनी भी चतुराई से निकलने का प्रयास करें, पकड़ ही लेते हैं । 'पाउं' मजबूरी में लिखा क्‍योंकि की-बोर्ड तभी सपोर्ट नहीं कर पाई, शेष आपने बिल्‍कुल सही पकड़ा है, यथासंभव प्रयास करता हूं कि इनका प्रयोग कम से कम करूं पर कई बार ऑप्‍शन मेरे सामने नहीं होते  तभी ऐसे प्रयोग करने पड़ते हैं । आशा है आपका मार्गदर्शन सबके लिए समान रूप से लाभदायक होगा, सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2013 at 4:59pm

प्रस्तुत नवगीत में प्रयुक्त कतिपय शब्दों की यथासम्भव शुद्ध अक्षरियाँ दी गयी हैं आदरणीय. मेरा इन्हीं शब्दों की ओर इशारा है - 

दलानों - दालानों

उष्‍ण - ऊष्ण

रिफूगर - रफ़ूग़र

पाउं - पाऊँ

दाधीच - दधीचि

सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 11, 2013 at 4:21pm

bahut sundar aadarneey ,,,,,,,,,,,,,kya baat hai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
3 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
42 minutes ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
2 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
2 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
2 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
yesterday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"बदलते लोग  - लघुकथा -  घासी राम गाँव से दस साल की उम्र में  शहर अपने चाचा के पास…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service