For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

टूटते रिश्तों की किरचें

 

टूटे रिश्तों की किरचियाँ ,

कभी जुड़ नहीं पातीं ,

शायद कोई जादू की छड़ी ,

जोड़ पाती ये किरचियाँ ।

.

ये चुभ कर निकाल देतीं हैं ,

दो बूंद रक्त की , और अधिक

चुभन के साथ बढ़ जाती है ,

पीड़ा न दिखाई देती हैं ।

.

चुप रह कर सह जाती हूँ ,

आँख मूँद कर देख लेती हूँ ,

शायद कोई प्यारी सी झप्पी ,

मिटा पाती ये दूरियाँ। .... अन्नपूर्णा बाजपेई

 

 

अप्रकाशित एवं मौलिक

Views: 412

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2013 at 2:47pm

आदरणीया अन्नपूर्णाजी, आपकी रचना आत्माभिव्यक्ति शैली में अंतर्सम्बन्धों की व्यथा को साझा करती है.

सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 11, 2013 at 11:43am

आदरणीया यदि जादू की झड़ी होती तो मानव न जाने और क्या क्या करता अच्छा है कि जादू की झड़ी नहीं है. बहरहाल प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by D P Mathur on July 11, 2013 at 8:50am

आदरणीया अनुपमा जी, सच है एक बार दरार पड़ जाने पर रिश्तों को वापस जोड़ना असम्भवं ही है इसलिए इन्हैं टूटने से बचाना ही एक उपाय है !
रिश्तों का सही चित्रण !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 10, 2013 at 9:58pm

आ० अन्नपूर्णा जी 

टूटे रिश्तों की चुभती किरचियों की पीड़ा.... सच में कोइ झप्पी होती इन्हें फिर जोड़ , दूरियां मुता देने के लिए 

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई 

Comment by mrs.Preeti G.sharma on July 10, 2013 at 3:46pm
'Aadrniya annpurna ji, aapne apni rachna me sch kha hai, rishte tutte hai to bahut drd hota hai, ek aisa drd jise koi bhi samajh na paye,, sunder rachna ke liye bahut badhai
Comment by राजेश 'मृदु' on July 10, 2013 at 1:37pm

दरकते रिश्‍तों पर आपके उद्गार काफी सुंदर हैं, ये भीतर तक पैठती है, झकझोरती हैं और बड़ी देर तक गूंजती हैं, सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
9 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service