For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आह करते हैं ,वाह करते हैं 

लोग हैं बस ,तबाह करते हैं 

रख के नफरत चाशनी में वो 

प्यार क्या बे-पनाह करते हैं 

कहके पैगाम दोस्ती  का है 

पीठ पीछे गुनाह करते हैं 

समझिए कुछ तो होनेवाला है 

जब वो तिरछी निगाह करते हैं 

आपकी नेकियों से उनको क्या 

काम है उनका स्याह ,करते हैं 

_________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ 

(मौलिक ,अप्रकाशित )

Views: 507

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by aman kumar on June 21, 2013 at 1:30pm

कहके पैगाम दोस्ती  का है 

पीठ पीछे गुनाह करते हैं 

बहुत गहरी सोच के साथ रची गयी है ........

आभार 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 20, 2013 at 1:54pm

आदरनीय बिश्व्म्भर जी ..बहुत ही अच्छी ग़ज़ल ...

रख के नफरत चाशनी में वो 

प्यार क्या बे-पनाह करते हैं  खास रूप से पसंद आया 

Comment by vijay nikore on June 20, 2013 at 11:49am

अच्छा कहा है।

बधाई, विश्वम्भर जी।

विजय निकोर

Comment by बृजेश नीरज on June 20, 2013 at 8:59am

बहुत ही सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Pragya Srivastava on June 20, 2013 at 12:23am

आ0 विश्वम्भर जी,          

  सुंदर रचना ............................ बधाई

Comment by ram shiromani pathak on June 19, 2013 at 9:42pm

आ0 विश्वम्भर  जी,  बहुत सुन्दर रचना //हार्दिक  बधाई 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 19, 2013 at 8:34pm

आ0 विश्वम्भर सर जी,  वाह! बहुत सुन्दर गजल हुई है।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 19, 2013 at 6:18pm

रख के नफरत चाशनी में वो 

प्यार क्या बे-पनाह करते हैं ... क्या कहने है महोदय!

Comment by coontee mukerji on June 19, 2013 at 4:27pm

रख के नफरत चाशनी में वो 

प्यार क्या बे-पनाह करते हैं ...............कितनी सच्ची बात कही है . सादार / कुंती.

Comment by Shyam Narain Verma on June 19, 2013 at 3:05pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ..............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service