For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यूँ तो तक़दीर ने देखे हैं मोड़ कई ...
जिंदगी यूँ ही मुड़ेगी कभी सोचा न था..
कई ज़माने से  प्यासा हूँ में यहाँ ..
ओस से प्यास बुझेगी कभी सोचा न था..
यूँ तो फिरते हैं कई लोग यहाँ ..
गुदड़ी में लाल मिलेगा कभी सोचा न था ..
किस्मत ने दी है हर जगह दगा ..
मुकद्दर यूँ ही चमकेगा कभी सोचा न था ..
खून करे हैं सभी के अरमानों के हमने..
खून मेरा भी होगा कभी सोचा न था..

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 306

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 26, 2013 at 4:59pm

मीना पाठक  जी आपके प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ...

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 26, 2013 at 4:58pm

मान्यवर  MOHD. RIZWAN  जी बहुत बहुत आभार ... .आपका .. सादर

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 26, 2013 at 4:58pm

मान्यवर Jitendra Pastariya जी बहुत बहुत आभार ... .आपका .. सादर

Comment by Meena Pathak on June 15, 2013 at 6:37pm

बेहतरीन रचना ... बधाई 

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on June 15, 2013 at 10:39am

बहुत सुंदर पंक्तियां है... आदरणीय शुभकामनाऐं स्वीकार कीजीऐ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 15, 2013 at 8:16am
आदरणीय..अमोद जी, बहुत खूब! बहुत सुंदर पंक्तियां..."यूँ तो तकदीर ने देखे है मोड़ कई..जिंदगी यूँ मुड़ेगी कभी सोचा न था,...कई जमाने से प्यासा हूँ मै यहाँ...ओस से प्यास बुझेगी कभी सोचा न था..."उम्दा पंक्तियां...आदरणीय शुभकामनाऐं स्वीकार कीजीऐ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"आदरणीय उस्मानी जी, 'म' ने कोई गड़बड़ी नहीं की। वह तो मात्राओं की कारस्तानी है, साहिब।…"
40 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to अजय गुप्ता 'अजेय's discussion आयोजन कैलंडर संबंधित
"आपकी बात से मैं भी सहमत हूँ। कई बार तिथि याद नहीं रह पाती। इससे निरंतरता बनी रहेगी। "
58 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई। धर्म के प्रतिमान में मेरे हिसाब से मात्राएँ कम…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"सुरा- सार "मालखाने की शराब चूहे पी गए....।" सुनकर बाबा चौंके। "फिर से? "…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a discussion

आयोजन कैलंडर संबंधित

आदरणीय प्रबंधन समूह,मेरा एक सुझाव है जिसे आपके विचारार्थ रखना चाहता हूँ । ओबीओ में पूर्व कि भाँति…See More
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया कल्पना भट्ट जी।"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"रचना पटल पर त्वरित समय देकर प्रोत्साहक प्रतिक्रिया हेतु शुक्रिया आदरणीय अजय गुप्त 'अजेय'…"
16 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"अच्छी रचना हुई है जनाब शहज़ाद उस्मानी जी। बधाई स्वीकारें"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"संक्षिप्त और गूढ़। बहुत अच्छी रचना हुई है आदरणीय । सार सबका एक है पर मैं ने गड़बड़ कर दी । वाह"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"आरंभ है प्रचंड ========= कस्बे के रेलवे पार्क में रोज घूमने आने वाले समूह के सदस्यों के मध्य…"
18 hours ago
Samar kabeer left a comment for Rahul Solanki
"ओबीओ पटल पर स्वागत है आपका डॉ. राहुल सोलंकी जी ।"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"'मतलब' और 'मतलबी'! (लघुकथा):  "ज़रा ग़ौर फ़रमाइयेगा जनाब, शब्द…"
21 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service