रवि महिमा
रवि की महिमा सब जग जानी, बिनू रवि संकट अधिक बखानी.
शुबह सवेरे प्रगट गगन में, फूर्ति जगावत जन मन तन में!
दूर अँधेरा भागा फिरता, सूरज नहीं किसी से डरता.
आभा इनका सब पर भारी, रोग जनित कीटन को मारी
ग्रीष्म कठिन अति जन अकुलानी, शरद ऋतू में दुर्लभ जानी
ग्रीष्महि जन सब घर छुप जावें, शरद ऋतू में बाहर आवें.
गर्मी अधिक पसीना आवे, मेघ दरस न गगन में पावे.
पावस मासहि छिप छिप जावें. बादल बीच नजर नहीं आवे.
हल्की बारिश में दिख जावें, इन्द्रधनुष अति सुन्दर भावे.
कबहू रवि घन में छिपे, कबहू प्रगटे सुदूर
लुक्का छिप्पी करत हैं, नभ से निकले नूर.
सूरज जग के त्राण हैं, पूजा करिए जरूर.
जो जन सूरज भगत हैं, तन से निकले नूर!
( मौलिक व अप्रकाशित )
- जवाहर लाल सिंह
Comment
आदरणीया विजयश्री जी, सादर अभिवादन!
समर्थन हेतु आपका हार्दिक आभार!
आदरणीया कुंती जी, सादर अभिवादन!
समर्थन हेतु आपका बहुत बहुत आभार!
आदरणीया विनीता जी, सादर अभिवादन!
समर्थन हेतु आभार!
आदरणीय श्री विजय मिश्र जी, आपका अभार!
ओम सूर्याय नम:!
रवि की महिमा सब जग जानी, बिनू रवि संकट अधिक बखानी.
शुबह सवेरे प्रगट गगन में, फूर्ति जगावत जन मन तन में!
दूर अँधेरा भागा फिरता, सूरज नहीं किसी से डरता.
आभा इनका सब पर भारी, रोग जनित कीटन को मारी
बहुत खूब वर्णन किया है सूर्य देवता का आपने जवाहरजी /सादर
सूरज जग के त्राण हैं, पूजा करिए जरूर.
जो जन सूरज भगत हैं, तन से निकले नूर.........क्या खूब कहा है .
आंचलिक भाषा में, सहज , सुन्दर अभिव्यक्ति. सूर्य देव की महिमा अपरम्पार है!
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