For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राम सिया की भक्ति/ चौपाई एवं दोहों में (जवाहर)

रामसिया का रूप
राम सिया की जोड़ी कैसी, काम रती की जोड़ी जैसी.
राम सिया को जो नर ध्यावे, सब सुख आनंद वो पा जावे.
राम सिया जग के सुख दाता, जो मांगे वर वो पा जाता.
शुबह शाम नर नाम सुमीर तू, अपना काम समय पर कर तू.
कष्ट न दूजे को दे देना, सम्भव हो तो दुःख हर लेना.
परमारथ सा धरम न दूजा, नहीं जरूरत कोई पूजा.
वेद्ब्यास मुनि सब समझावे, गाथा बहु विधि कहहि सुनावे.
अन्तकाल में कष्ट जो पावे, सकल अतीत समझ में आवे.
कहत जवाहर हे रघुराई, मूरख मन से करौं बराई.
मरा मरा कह बाल्मिकी, बन गए मुनि महान.
मैं बालक अति मूढ़ मति, जानत सकल जहान.
सियावर राम चन्द्र की जय!

( मौलिक व अप्रकाशित )

-जवाहर लाल सिंह 

Views: 934

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 15, 2013 at 7:13pm

आदरणीय श्री केवल प्रसाद जी, सादर अभिवादन!

सराहना पूर्ण प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 14, 2013 at 9:06pm

आ0 जवाहर सर जी,   सुन्दर भावों से पूरित चौपाई व दोहा शानदार प्रस्तुति।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।    सादर,

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 14, 2013 at 4:15pm

आदरणीया विजयाश्री जी, जय सिया राम जय जय सिया राम !

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 14, 2013 at 4:14pm

आदरणीया कुन्ती जी, सादर अभिवादन!

जय सिया राम!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 14, 2013 at 4:13pm

आदरणीय विनीता जी, सादर अभिवादन!

आज समाज भले ही अपने अपने अहम आगे ईश्वर को ना मानने लगा है पर दुःख की घड़ी में सबको भगवान याद आते हैं. दुःख में सुमिरन सब करे......आपकी सार्थक प्रतिक्रिया हेतु आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 14, 2013 at 4:10pm

आदरणीय श्री श्याम नारायण वर्मा जी, जय सिया राम!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 14, 2013 at 4:09pm

आदरणीय श्री विजय मिश्र जी, सादर अभिवादन!

समर्थन हेतु आभार!जय सियाराम जय जय सियाराम 

Comment by vijayashree on June 14, 2013 at 11:58am

जय सियाराम जय जय सियाराम..........

अति सुंदर   

Comment by coontee mukerji on June 14, 2013 at 12:35am

जय सिया राम , बहुत सुंदर रचना जवाहर जी / सादर / कुंती .

Comment by Vinita Shukla on June 13, 2013 at 2:58pm

भक्ति रस में पगी सुंदर रचना. काश समाज के आस्थाहीन लोग, इस भावना को समझें और गृहण करें!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service