For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक्वेरियम की मछलियाँ

कांच की दीवारों में
साँसों के स्पंदन
कसमसाती पूंछ
छटपटाते डैने
शो पीस सरीखा जीवन
रास न आयें इन्हें
थोपी हुई रंगीनियाँ
एक्वेरियम में कैद
सुन्दर देह वाली  
मछलियाँ
है नहीं तलछट से
छनती धूप
अब इनके लिए
अरसा हुआ
लहरों की
स्वर्णिम गोद में
 खेले हुए
 चट्टानों की ऒट से
आखेट लुकछिप कर किये
मूँगों के झुरमुट में मानों
कौंधती थी बिजलियाँ
एक्वेरियम में कैद
सुन्दर देह वाली  
मछलियाँ
सिकुड़ गया ज़िन्दगी का
जादुई कैनवास
कुलबुलाती फिर रहीं
लेती हुई उच्छ्वास
  चंद पत्थर, चंद कंचे
प्लास्टिक की घास
 बनावटी शैवाल
खुलती बंद होती सीपियाँ
एक्वेरियम में कैद
सुन्दर देह वाली  
मछलियाँ

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 905

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on June 10, 2013 at 2:24pm

बहुत बहुत धन्यवाद आपका सुमित.

Comment by Sumit Naithani on June 10, 2013 at 12:23pm

बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति ............

Comment by Vinita Shukla on June 9, 2013 at 1:03pm

समर्थन व सराहना हेतु आभार राजेश कुमारी जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 8, 2013 at 11:53pm

बहुत सुन्दर मछलियों पर विशेष रचना जो वाकई दिल को छू गई जब कभी कहीं भी या अपने एक्युरियम देखती थी तो भाव यही आते थे दिल में फिर रखना छोड़ दिया वही भाव इस प्रस्तुति में पढ़कर पुरानी यादे तजा हो गई सोचती हूँ हमें किसी भी जीव की आजादी छीनने का क्या हक है ?

Comment by Vinita Shukla on June 8, 2013 at 11:02pm

अनेकानेक धन्यवाद महिमा जी.

Comment by MAHIMA SHREE on June 8, 2013 at 10:51pm

आदरणीया बहुत ही मार्मिक चित्रण ..  बहुत -२ बधाई आपको

Comment by Vinita Shukla on June 8, 2013 at 10:46pm

समर्थन एवं सराहना हेतु धन्यवाद जवाहर जी.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 8, 2013 at 9:50pm

कभी राजा राधिका रमण प्रसाद (शायद) जी ने कहा था उपवन में फूल खिलते हैं वन में हँसते हैं!

आपने बहुत ही जोरदार तरीके से एक्वेरिअम की मछलियों की पीड़ा बयां की है। सादर विनीता जी!
Comment by Vinita Shukla on June 8, 2013 at 7:24pm

बहुत बहुत धन्यवाद राम शिरोमणि जी.

Comment by Vinita Shukla on June 8, 2013 at 7:23pm

हार्दिक धन्यवाद कुंती जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service