शार्दूलविक्रीडित छंद
इस छन्द में चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में १९ वर्ण होते हैं। १२ वर्णों के बाद तथा चरणान्त में यति होती है। गणों का क्रम इस प्रकार है - गुरु-गुरु-गुरु (मगण ), लघु-लघु-गुरु (सगण ), लघु-गुरु-लघु (जगण), लघु-लघु-गुरु (सगण ) गुरु-गुरु-लघु (तगण ), गुरु-गुरु-लघु (तगण ), गुरु |
माँ विद्या वर दायिनी भगवती, तू बुद्धि का दान दे |
माँ अज्ञान मिटा हरो तिमिर को, दो ज्ञान हे शारदे ||
हे माँ पुस्तक धारिणी जगत में, विज्ञान विस्तार दे |
वाग्देवी नव छंद हो रस पगा, ऐसी नयी ताल दे ||
संदीप पटेल “दीप”
Comment
अत्यन्त सुन्दर एवं सराहनीय छंद !!!!
संस्कृत काव्य में प्रचलित छंदों में से आपने एक रोचक छंद लिया है, आदरणीय संदीपजी. बधाई स्वीकारें.. .
इस तरह के पोस्ट अनायास न दिया करें. आवश्यक शोध और अभ्यास के उपरांत उचित हो आप इन्हें भारतीय छंद विधान समूह में पोस्ट करें. इससे छंद क्रम भी बना रहेगा और संग्रह भी सोद्येश्य होगा.
आप इस मंच के मानद सदस्य हैं. आपका कोई संकेन्द्रित, विशेषकर विमुग्धता से परे हुआ प्रयास पाठकों और मंच की दृष्टि से दूरगामी होगा. आपसे मंच को बहुत आशाएँ हैं, बशर्ते आप अपने प्रयासों को संयत करें.
हमारे साथ दिक्कत अब यह हो रही है कि कतिपय रचनाकारों को हम यह समझा सकने में असमर्थ हो रहे हैं कि ’ठोस काव्य सृजन’ और ’चमत्कृत करने की अपेक्षा’ में बहुत अंतर होता है.
ओबीओ पर कोई रचना कई-कई अर्थों में शुद्ध हुई नहीं, उस पर सुझाव आये नहीं कि ठीक वही रचना अन्य साइटों पर वाहवाहियों के तुमुलनाद में उत्फुल्ल दिखती है. ऐसा आयोजनों तक की रचनाओं के साथ हो रहा है. आयोजन समाप्त हुए नहीं रचनाओं पर टिप्पणियों का दौर चल ही रहा है.. कि, रचनाएँ अन्यान्य साइटों पर उपलब्ध करा दी जाती हैं.
अब ऐसे किसी रचनाकार की किसी रचना पर कोई क्यों या क्या टिप्पणी करे? किसी सुझाव या सलाह को जब कोई रचनाकार इतने चलताऊ ढंग से लेने लगे, तो संदेश यह जाता है कि रचनाकार हर जगह से मात्र और मात्र वाहवाही चाहता है, न कि ठोस सुझाव. फिर, कोई जागरुक पाठक क्यों उसकी रचनाओं पर समय जाया करे ?
तथ्य सोचनीय है, और इस पर अवश्य ध्यान देने की आवश्यकता है.
शुभेच्छाएँ.. .
वाह ! संदीप जी , आपने तो हमें कान पकड़कर कक्षा में बिठा दिया .मजा आ गया . /सादर / कुंती .
आदरणीय केवल प्रसाद जी, आदरणीय लक्षमण सर जी, आदरणीय राम भाई, आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, आदरणीय आशुतोष सर जी , आदरणीया शालिनी जी आप सभी का उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभारी हूँ स्नेह यूँ ही बनाए रखिए सादर
आ0 संदीप भाई जी, बहुत खूब सूरत रसमयी छन्द आनन्ददायक है। बधाई स्वीकारें। सादर,
बहुत सुन्दर छंद इस छंद का "शार्दूलविक्रीडित छंद कैसा नाम है | सुन्दर भाव लिए छंद रचना प्रस्तुति के लिए बधाई
श्री संदीप कुमार पटेल जी
बहुत सुन्दर आदरणीय//// हार्दिक बधाई
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ..... |
bahut sunder chhand
वाग्देवी नव छंद हो रस पगा, ऐसी नयी ताल दे ||... अद्भुत , बहुत सुन्दर भाव ... ऐसी उत्कृष्ट छंद प्रस्तुति के लिए बधाई संदीप जी!
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