For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो गीत ह्रदय से निकला हो

जो गीत ह्रदय से निकला हो , कागज़ पे लिखो बेमानी है ।

वो गीत ह्रदय पर लिखना, ही जीवन की प्रेम कहानी है |

जब दिल में प्रेम उमड़ता है, आँखों से आंसू बहते हैं ,

मोती हैं समझने वालों को, नासमझो को तो पानी है ।

हर प्रेमी अपने प्रियतम को, हर हाल में पान चाह रहा ,

नासमझ भला ये क्या जाने, प्रेम तो तो एक कुर्बानी है ।

जब प्रेम दिलों में फूटे तो, वो सबके लिए बराबर हो ,

पर प्रेम में भेद भी होता है, इस बात पे ही है हैरानी है ।

जब गीत मोहब्बत ने गाये, ढाये हैं सितम ज़माने ने ,

फूलों की राहो में काँटे ,दुनिया की रीत पुरानी है ।

जिस प्रेम में उठती मांग रहे , उसे वासना ही समझो ,

गहरी समझ समर्पण की , प्रेम की यही निशानी है ।

नीरज 

Views: 664

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on June 4, 2013 at 2:53pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अशोक कुमार जी

Comment by Neeraj Nishchal on June 4, 2013 at 2:52pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय राजेश पाण्डेय जी

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2013 at 8:18pm

आदरणीय नीरज जी सुन्दर प्रवाहमयी रचना बहुत बहुत बधाई स्वीकारें अंतिम बंद के प्रथम पद में भाव अधूरे हैं. "प्रेम तो तो एक कुर्बानी है" शायद टंकन त्रुटी है. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 1, 2013 at 11:30pm

सुन्दर प्रयास के लिए बहुत-बहुत बधाइयाँ ...

शुभेच्छाएँ

Comment by Neeraj Nishchal on May 28, 2013 at 3:36pm

अभिनव आरुण जी बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Neeraj Nishchal on May 28, 2013 at 3:35pm

जवाहरलाल जी बहुत बहुत धन्यवाद  

Comment by Neeraj Nishchal on May 28, 2013 at 3:34pm

केवल प्रसाद जी बहुत बहुत आभार

Comment by Neeraj Nishchal on May 28, 2013 at 3:31pm

आदरणीय प्राची जी आपकी बातों का अगली रचनाओं में ध्यान रखूंगा
साभार बहुत बहुत धन्यवाद
सादर  

Comment by Neeraj Nishchal on May 28, 2013 at 3:30pm

 धन्यवाद प्रियंका जी

Comment by Neeraj Nishchal on May 28, 2013 at 3:28pm

साभार आदरणीय मीना जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
30 seconds ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
3 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
13 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
19 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service