For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक नवगीत--सूर्य देवा...

सूर्य देवा, लाँघना कुछ सोचकर,

इस गाँव की चौखट। 

 

बढ़ रहे तेवर तुम्हारे,

सिर चढ़े वैसाख में।

भू हुई बंजर चला जल,

भाप बन आकाश में।

देव! है स्वागत तुम्हारा,

ध्यान हो लेकिन हमारा,

बाँध लेना प्रथम अपनी आग सी,

किरणों की बिखरी लट।

 

मौन हैं प्यासे दुधारू 

खूँटियों से द्वंद है।

हलक सूखे हैं, नज़र में

याचना की गंध है।

शेष जल यदि तुम निगल लो,

गागरी उदरस्थ कर लो,

अन्नपूर्णा किस तरह झेले भला,

तन सोखता संकट।

 

ले गए लोलुप हमारी,

शहर नदिया मोड़कर।

तन यहाँ तर स्वेद से,

जल से हैं तर वे बेखबर। 

तुम सखा यह याद रखना,

गाँव में शुभ पाँव धरना,

सुर्ख मुख पर बादलों का ओढ़कर,

बस हाथ भर घूँघट।

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

कल्पना रामानी

Views: 590

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on May 28, 2013 at 11:23pm

गीतिका जी, मीना जी, अशोक जी, स्नेहपूर्ण बधाई प्रेषित करने करके आपने रचना का मान बढ़ा दिया है। आप सबका हार्दिक धन्यवाद। सादर

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 26, 2013 at 7:51am

आदरणीया कल्पना रामानी जी सादर, बहुत सुन्दर नवगीत रचा है, अंतिम बंद तो बहुत ही सुन्दर बना है. सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by Meena Pathak on May 23, 2013 at 6:48pm

ले गए लोलुप हमारी,

शहर नदिया मोड़कर।

चल रहे एसी वहाँ पर,

शीत छाया ओढ़कर।

तुम सखा यह याद रखना,

गाँव में शुभ पाँव धरना,

सुर्ख मुख पर बादलों का डालकर,

बस हाथ भर घूँघट।......................................बहुत सुन्दर .....क्या बात है ....... बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीया कल्पना जी 

Comment by वेदिका on May 22, 2013 at 10:28pm

वाह वाह बहुत मनभावन नवगीत प्रस्तुत किया आपने आदरणीया कल्पना जी!

बहुत सुंदर भाव पिरोये ....हर पंक्ति परिपूर्ण और भावुक 
शुभकामनायें स्वीकारिये 
Comment by कल्पना रामानी on May 22, 2013 at 9:51pm

बृजेश जी, प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...

सादर

Comment by बृजेश नीरज on May 22, 2013 at 9:27pm

बहुत ही सुंदर! वाह क्या बात कही है आपने और कितनी सुंदरता से। आपको ढेरों बधाई!

Comment by कल्पना रामानी on May 22, 2013 at 6:09pm

आदरणीय डॉ॰आशुतोष जी, सुंदर टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार...

Comment by कल्पना रामानी on May 22, 2013 at 6:07pm

पूजा जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद...

Comment by कल्पना रामानी on May 22, 2013 at 6:06pm

राज लाली शर्मा जी, प्रोत्साहित करती हुई टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार...

Comment by कल्पना रामानी on May 22, 2013 at 6:05pm

अभिनव अरुण जी, प्रशंसात्मक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service