For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ सचमुच माँ ही होती है,
उसके जैसी कोई और नहीं होती है।
वो हँसती है हमारे साथ ,
और हमारे साथ ही रोती है।
वो देती है तसल्ली दुःख में,
वो मुस्कराती है हमारे सुख में।
वो निराशा में नया सवेरा लाती है,
कष्ट में धीरज बंधाती है।
जब होता है कोई दुःख तो,
अक्सर माँ की याद आती है।
लगता है जैसे भाग कर,
उसके पास मैं चली जाऊँ।
और उसे अपने सारे दुखड़े,
अपने सारे दर्द कह सुनाऊँ।
जब आये कोई मुसीबत तो,मैं 
 उसकी गोद में सिमटकर छिप जाऊँ।
वो बचा ले मुझे मेरी परेशानियों से,
मेरे दुखों से,जीवन की समस्याओं से।
वो बुला ले मुझे अपने पास,
छुपा ले मुझे अपने आँचल में।
बचा ले मुझे लोगों के तानों से,
संभाले मुझे नए-नए बहानों से।
आज माँ क्यों ज़्यादा याद आती है,
क्यों वो भुलाये भुलाई नहीं जाती है?
इस संसार में बड़ी होकर बेटी,
क्यों माँ के लिए परायी हो जाती है?
क्यों नहीं रहता उसका अपनी ही
माँ पर अपना कोई अधिकार ?
क्यों छीन जाता है उससे, माँ का
आँचल और उसका स्नेह-दुलार।
क्यों अपनी ही माँ से मिलने के लिए
उसे दिन-रात तड़पना पड़ता है।
अक्सर माँ की याद आने पर उसे,
क्यों उस याद में बिलखना पड़ता है?
क्यों उसकी माँ,उसकी माँ नहीं रहती,
क्यों वो उसके लिए परायी हो जाती है?
क्यों दूसरी माँ को उसे अपनाना पड़ता है,
जब उसकी अपनी विदाई हो जाती है।
क्यों उसके नए घर की नयी माँ,
उसकी सगी माँ नहीं बन पाती ?
क्यों वह उसे अपनी बहू मानती है,
क्यों वह उसे बेटी नहीं समझ पाती?
क्यों वह उस परायी लड़की के संग,
अपनी सगी बेटी-सा प्यार नहीं रखती।
अपनी बेटी तो अपनी बेटी है,पर
बहू में उसे कभी बेटी नहीं दिखती।
क्या एक माँ और एक बेटी की,
इस समस्त संसार में यही व्यथा है,
कि हैं तो दोनों एक -दूसरे से जुडी हुई,
पर दोनों के जीवन की अलग कथा है।
कितना अच्छा होता,इस संसार में ,
यदि बेटियां भी माँ के साथ ही रहतीं।
माँ के साथ खातीं -खेलतीं,हंसतीं-बोलतीं,
और माँ से अलग होने की पीड़ा न सहतीं।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 535

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 15, 2013 at 8:31pm

कितना अच्छा होता,इस संसार में ,
यदि बेटियां भी माँ के साथ ही रहतीं।
माँ के साथ खातीं -खेलतीं,हंसतीं-बोलतीं,
और माँ से अलग होने की पीड़ा न सहतीं | ..........बिलकुल हर माँ दिल से तो यही चाहती है.

बहुत सुन्दर रचना आदरणीया सावित्री राठौर जी.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2013 at 4:32pm

मां मां ही होती है 

शत  शत  नमन 

सादर बधाई 

Comment by shalini kaushik on May 13, 2013 at 12:32am

,भावनात्मक अभिव्यक्ति .

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 12, 2013 at 12:47pm

आ0 सावित्री जी,  बहुत सुन्दर।  बधाई स्वीकारें।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service