For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम के मोती

नमवायु के शुष्क, जमे कण 

धरती की गर्माहट भरी 

सतह पर 

हो जाते हैं जब इकट्ठे 

तो बन जाते हैं कोहरा |

फिर यही कोहरा 

अस्त-व्यस्त कर देता है

जन जीवन को ,

धीमा कर देता है 

जिन्दगी की रफ़्तार को,

कारण बनता है

कई चिरागों के बुझने का,

साक्षी बनता है 

हृदय स्पर्शी चीत्कारों का|

वापिस भी मोड़ देता है 

आगे बढे हुए

कई क़दमों को,

धुंधला कर देता है

अच्छी भली दृष्टि को|

लेकिन जब यही धुंधलका

पवन की थपथपाइयों से,

सूर्य की हल्की तपिश से

हो जाता है छूमंतर|

तब बढ़ने लगती है रफ़्तार,

लौट आता है जीवन,

फैलने लगती हैं मुस्कराहटें,

बढ़ने लगते हैं कदम, 

दृष्टिगोचर होती है स्पष्टता|

क्योंकि

प्रकृति लेती है परीक्षा मानव की

और देती है शिक्षा

धैर्यवान बनने की|

 

आपसी प्रेम और सौहार्द की गर्माहट 

पिघला देती है कोहरे को 

जो छाया है मानव मानव के बीच,

कर देती है परिवर्तित 

प्रेम के मोतियों में,

ओस कणों से सींच|

पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 679

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha Taneja on April 24, 2013 at 5:15pm

 ram shiromani pathak जी, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. 

Comment by Usha Taneja on April 24, 2013 at 5:13pm

 आदरणीय Dr.Prachi Singh ji, मैं बहुत धन्य हुई आपकी प्रतिक्रिया जानकर. शुभकामनाओं के लिए हर्दिक आभार.

Comment by ram shiromani pathak on April 23, 2013 at 9:33pm

आदरणीया ऊषा तनेजा जी,बहुत सुन्दर प्रस्तुति।बधाई स्वीकार करें।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 23, 2013 at 8:58pm

आदरणीया ऊषा तनेजा जी,

संवादहीनता और गलतफहमियों के कुहासों की दीवारें सौहार्द की गरमाईश से ही टूटती हैं..

उत्कृष्ट भावों की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई

आपसी प्रेम और सौहार्द की गर्माहट 

पिघला देती है कोहरे को 

जो छाया है मानव मानव के बीच,.....बहुत सुन्दर 

शुभकामनाएं  

Comment by Usha Taneja on April 23, 2013 at 6:36pm

 Ashok Kumar Raktale जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद.

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 6:22pm

वाह! कोहरे की दीवारें और फिर ओस के मोती. बहुत सुन्दर भाव प्रस्तुत करती रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया उषा तनेजा जी.

Comment by Usha Taneja on April 23, 2013 at 5:12pm

आ०  Kewal Prasad जी, प्रणाम! बधाई के लिए धन्यवाद. 

आभारी 

उषा तनेजा 

Comment by Usha Taneja on April 23, 2013 at 5:09pm

आ० vandana tiwari जी, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

आभारी

उषा तनेजा  

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 23, 2013 at 9:46am

आ0 तनेजा जी,  सादर प्रणाम!   बहुत सुन्दर प्रस्तुति।  सादर बधाई स्वीकार करें।

Comment by Vindu Babu on April 22, 2013 at 6:43pm
आदरेया ऊषा जी बहुत ही गहन और सटीक, सांकेतिक रूप से अभिव्यक्ति की है आपने,
सादर बधाई आपको।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service