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नवसंवत्सर पर हार्दिक शुभकामनाएँ

संप्रेषित शुभकामना, स्वजन करें स्वीकार 

नव-संवत शुभ आगमन, सृष्टि सृजन त्यौहार 

सृष्टि-सृजन त्यौहार, पुलक शुभ वर्ष मनाएँ

मनस चरित व्यवहार साध निज गौरव पाएं 

संकल्पित हो कर्म, धर्म को करें प्रतिष्ठित 

राष्ट्र करे उत्थान, भावना शुभ संप्रेषित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 12, 2013 at 1:32pm

प्रिय संदीप जी
आपने इतने धैर्य पूर्वक अपनी बात कही .....यह सच है की मैंने भी साहित्य में कहीं भी बन्धु शब्द का प्रयोग सिर्फ स्त्रीलिंग के लिए नहीं देखा है।पर मेरा भ्रम यही था की क्या इसमें स्त्रियाँ और पुरुष दोनों ही नहीं आते ?

इस संशय पर सब लोगों नें अपनी अपनी बात कही। सभी का हृदय तल से आभार .

आप सबके कहे को सर्वथा उचित मानते हुए इस कुण्डलिया में बन्धु शब्द को स्वजन से परिवर्तित कर रही हूँ .... :)))

हम सब इसी प्रकार समवेत सीखते जानते बूझते हुए समझते हुए रचनाकर्म में आगे बढ़ते रहें
ऐसी ही सद्कामनाएं हैं

आभार सहित
प्राची

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 12:53pm

आदरणीया डॉ प्राची जी सादर प्रणाम

किंतु साहित्य में कहीं न कहीं इस सामान्यतः बोले जाने बाले शब्द से मायने बदल ही रहे हैं आदरणीया
अब यह रचना केवल आप तक सीमित नही वरन सामाजिक धरोहर है


इसमें यह शब्द भ्रम उत्पन्न करेगा क्यूंकी हर किसी को समझाना तो मुश्किल ही है के हमने हमारे यहाँ ऐसा होते सुना है या आत्मीय जन "पुल्लिंग और स्त्रलिंग दोनों के स्थान मे इस्तेमाल हो जाएगा

मैने तो साहित्य मे कहीं भी बंधु का उपयोग स्त्रलिंग के रूप मे होते नहीं देखा

या हो सकता है मुझे अभी उतना साहित्य ज्ञान न हो

किंतु जो मुझे लगा वो मैने साझा किया है आदरणीया
स्नेह बनाए रखिए


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 12, 2013 at 12:37pm

नवसंवत्सर पर आप सहित सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ, कुण्डलिया अति मोहक हुई है, बंधू संदीप पटेल से "बंधू" पर इत्तफाक रखता हूँ ।

संप्रेषित शुभकामना, करें सभी स्वीकार

बधाई इस खुबसूरत रचना पर ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 12, 2013 at 11:02am

प्रिय प्राची जी बहुत सुन्दर कुंडलिया रची है आपको भी नव संवत्सर की हार्दिक बधाई बंधू शब्द को लेकर जो संशय बना हुआ है उसको मित्र करें स्वीकार करें तो और अधिक स्पष्ट हो जाएगा पर ये मेरी निजी राय है |

Comment by vijayashree on April 11, 2013 at 6:51pm

प्राची जी

 

बहुत सुंदर शब्दों का संगम . बहुत अच्छी कुण्डलियाँ .....

नवसंवत्सर की आपको भी शुभकामनाएँ

विजयाश्री

Comment by राजेश 'मृदु' on April 11, 2013 at 6:10pm

वाह-वाह अति सुंदर भाव एवं उतनी ही अच्‍छी कुंडलियां, हार्दिक बधाई के संग नवसंवत्‍सर की ढेरों शुभकामनाएं आपके लिए, सादर

Comment by vijay nikore on April 11, 2013 at 6:03pm

प्राची जी, अति सुन्दर शब्द-चयन और भाव।

आपके लिए शुभकामनाओं सहित,

विजय

Comment by विजय मिश्र on April 11, 2013 at 4:47pm

प्राची जी ! आपको एवं सम्पूर्ण ओ बी ओ के प्रबुद्ध और साहित्य स्नेही परिवार को मेरी भी नववर्ष , बासंती नवरात्र एवं धरती माँ के जन्मदिन की अनन्य हार्दिक शुभकामनाएँ ,बधाई और आत्मीय शुभेच्छा .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 11, 2013 at 4:40pm

प्रिय संदीप जी, 

बन्धु शब्द का शाब्दिक अर्थ मेरे पास उपलब्ध शब्दकोष (डॉ० हरदेव बिहारी द्वारा राजपाल हिंदी शब्द कोष)के अनुसार 

बन्धु -१. भाई भ्राता, २. आत्मीय व्यक्ति है 

और मैंने व्यवहार में बन्धु ...इसी शब्द का सम्बोधन स्त्रियों के लिए भी अपने बचपन से ही होते देखा है...

हमारे स्थान पर जो स्त्रियाँ , लोगों के घरों में कार्य सहयोग का कर्म करती हैं ...उन्हें "बन्धु" कह कर ही सामान्यतया संबोधित किया जाता है...

इस विषय में विस्तार से जानना रोचक होगा....

वैसे इसका अर्थ जो मैंने मान कर लिखा है  वो है "हे आत्मीय मित्र, स्वजन, आपको शुबकामनाएं संप्रेषित हैं, उन्हें स्वीकार कीजिये"

ऐसे वाक्य न ही पुर्लिंग होते हैं न ही स्त्री लिंग..... वो सबके लिए सामान ही अर्थ को समाहित करते हैं ...ऐसा मेरा मानना है, 

सादर. 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 11, 2013 at 3:57pm

मैने आज तक बहनों के लिए बंधु शब्द का उपयोग नही देखा है आदरणीया इसीलिए आपसे कहा
सादर आभार
स्नेह बनाए रखिए

कृपया ध्यान दे...

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