For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिलहाल कुछ ऐसा कीजिए
चुन के कांटे फूल धर दीजिए


और कुछ संभव हो या ना ,
छत को चोग से  भर दीजिए

बहुत अंधेरो की बोई फसल
रौशनी की भी मगर बीजिए

तीसरा नेत्र खोल के रखिए
चाहे दोनों आंखे भर लीजिए

हर कोई फोटो फ्रेम लगाए,
दिल में जगह मगर दीजिए 

Views: 472

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on April 2, 2013 at 10:01am

आदरणीय शुभ्रांशु जी ने जिस तरह से नए सदस्यों पर उंगली उठा दी है वह उचित नहीं है। वे स्वयं यदि पुराने सदस्य हैं तो शायद यह भी अवगत होंगे कि यहां किसी भी सदस्य पर आक्षेप करने की प्रथा नहीं है, जैसा मैंने अभी तक समझा है।
रही बात रचनाकार की गलती और उसकी प्रशंसा की तो मुझे नहीं लगता कि यहां किसी ने झूठी वाहवाही की है। मैंने अपनी पहली टिप्पणी में ही रचनाकार को गज़ल की कक्षा की लिंक दी और उसे पढ़ने को कहा है।
मुझे लगता है कि बेहतर यह होता कि शुभ्रांशु जी ने इस रचना में रचनाकार द्वारा की गयी गलती की तरफ इशारा किया होता जैसा अन्य गुरूजन किया करते हैं।
यहां यह भी ध्यान देने की बात है कि यदि रचनाकार कुछ सीखना चाहता है तो उसे अपनी रचना पोस्ट करने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचता। छोटी छोटी बातें आपसे कोई पूछना चाहे तो आपसे कोई कैसे पूछे शुभ्रांशु जी। मैंने कुछ प्रश्न पुराने सदस्यों से पूछना चाहा उनका उत्तर तो आज तक मुझे नहीं मिला। प्रश्न जस के तस उसी जगह पोस्ट हैं। आपने भी उन प्रश्नों का उत्तर देने की अभी तक जहमत नहीं उठायी। गुरूजनों द्वारा ही यह निर्देश दिया गया कि इस तरह से समस्या का समाधान नहीं होगा। उनका कहना था कि आप अध्ययन करिए फिर कोई रचना लिखने का प्रयास करिए जिससे कमियों का पता चल सके।
यह बेहतर भी होता है। अध्ययन करने के उपरान्त नियमों को ध्यान में रखकर कोई रचना लिखी जाए। फिर गुरूजन उस पर जो टिप्पणी करते हैं उससे कमियां भी पता चलती हैं और सुधार की संभावना भी बनती है।
आशा है नए और पुराने का द्वंद यहां प्रारम्भ नहीं होगा।
सादर!

Comment by Shubhranshu Pandey on April 2, 2013 at 9:42am
मैं ग़ज़ल की महीनी नहीं जानता. लेकिन यह अवश्य है कि यह ग़ज़ल नियमानुसार कच्ची है. कोरी वाहवाही करने वाले इस साइट के नये सदस्य इस साइट के उद्येश्य या गहनता की अनदेखी कर रहे हैं. इस वाहवाह से किसका भला होने वाला है ? ग़ज़लकार द्वारा ग़ज़ल पोस्ट करने या करते जाने की अपेक्षा अच्छा यह होता कि वे इसी साइट पर ग़ज़ल की कक्षा को ज्वाइन करते, ग़ज़ल पर कई पोस्ट हैं उन्हें पढ़ते और तब प्रयास करते. यहाँ ग़ज़लों के कई जानकार हैं उनसे ग़ज़ल पोस्ट करने से पहले पूछ लिया जाता या ग़ज़ल पर सलाह लेली जाती.
उत्साहवर्धन जरूरी है लेकिन ऐसी बिना मतलब की वाहवाही तो किसी नये रचनाकार को बहकाना हुआ. और ओ बी ओ के स्पेस को जाया करना हुआ.
आपके पोस्ट को एप्रुवल मिला है उसका रचनाकार महोदय अर्थ समझेंगे और बार-बार एक ही गलती वाली रचनाएँ पोस्ट नहीं करेंगे
धन्यवाद
Comment by बृजेश नीरज on April 1, 2013 at 8:24pm

मोहन जी मैं सदैव आपके साथ हूं बल्कि यहां का हर सदस्य आपके साथ है। बस प्रयास जारी रखिए।

Comment by SALIM RAZA REWA on March 27, 2013 at 6:39pm
फिलहाल कुछ ऐसा कीजिए
चुन के कांटे फूल धर दीजिए ....accha hai prayas karte rhe
Comment by मोहन बेगोवाल on March 26, 2013 at 4:04pm

भाई ब्रजेश जी ,

धन्यवाद, पूरी कोशिश करेंगे समझने की ,दोस्तों का साथ भी जरूरी 

Comment by बृजेश नीरज on March 26, 2013 at 1:10pm

कृपया इस लिंक का लाभ उठाएं!

http://www.openbooksonline.com/group/kaksha
होली की शुभकामनाएं!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
3 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
4 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
4 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
4 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
10 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service