For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चतुष्पदी ,चैापैया.(10, 8, 12 अन्त में दो गुरू)

जय पाप नाशनी जीवन दानी जन मानस हितकारी!
शंकर शीश जटा उलझी सुलझी जस महदेव विचारी!!
कॅापें दिश देवा भय सब भावा सुलोक विस्मयकारी!
श्री शंभु पुरारे नाथ हमारे धावत दीनन वारी!!1


रस रस कर धारा विष तन सारा अमृत चरनहि सुखारी!
तुम दीन दयाला चॅंद सो हाला देवन की महतारी!!
हे!सुरसरि माता दुख हर जाता आवत शरण तिहारी!
तुम जाति धर्म नहि अवगुण जानहि फल जनत बिन विचारी!!2


यह पदुम परागा तन मन रागा बन जाता अविकारी!
हे! मातु भवानी कहॅू जुबानी हम बालक मद कारी!!
हम करते कल्मष तन तट खर खस आप सदा सुविचारी!
हे! मॅा कल्यानी मत्सर जानी छमा करो सुरतारी!!3


हम सब जस पायें सदा लुटायें नहि करें दुःख-रारी!
हम भीष्म प्रतिज्ञा मुनि मन आज्ञा निर्मल गंग सॅंवारी!!
जय जय मॅा गंगा मन भा चंगा सकल ताप भय हारी!
सत्यम शिशु लीला आंचल गीला हॅस मुख मातु निहारी!!4
सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 562

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 21, 2013 at 9:15pm

आदरणीय श्री राजेश कुमार झा जी, श्री राम शिरोमएिा पाठक जी, श्री योगी सारस्वत जी एवं श्री बृजेश कुमार सिहं जी आप सभी लोगों का  बहुत-बहुत  धन्यवाद एवं आभार।

Comment by राजेश 'मृदु' on March 21, 2013 at 4:52pm

चवपैया छंद पर मैं पहली बार कोई प्रस्‍तुति पढ़ रहा हूं, रचना तो सुंदर है ही लय भी काफी अच्‍छी है, हार्दिक बधाई इस छंदमय प्रस्‍तुति पर, सादर

Comment by ram shiromani pathak on March 21, 2013 at 11:09am

आदरणीय बहुत सुन्दर! बधाई स्वीकारें!

Comment by Yogi Saraswat on March 21, 2013 at 10:56am

रस रस कर धारा विष तन सारा अमृत चरनहि सुखारी!
तुम दीन दयाला चॅंद सो हाला देवन की महतारी!!
हे!सुरसरि माता दुख हर जाता आवत शरण तिहारी!
तुम जाति धर्म नहि अवगुण जानहि फल जनत बिन विचारी!!2

आपने दोहावली में सुन्दर शब्दों का संचयन किया है

Comment by बृजेश नीरज on March 20, 2013 at 8:09pm

बहुत सुन्दर! बधाई स्वीकारें!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 20, 2013 at 7:50pm

आदरणीय डा0 स्वर्ण जे0 ओंकार जी, आपको बहुत-बहुत  धन्यवाद एवं आभार!

Comment by Dr. Swaran J. Omcawr on March 20, 2013 at 1:01pm

बढ़िया  Kewal Prasad जी।

"शंकर शीश जटा उलझी सुलझी जस महदेव विचारी!!"
मैंने भी शाश्वत गंगा के अगले अंक में कुश ऐसी बातों का ज़िक्र कर रहा हूँ 
 आपने दोहावली में सुन्दर शब्दों का संचयन किया है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
16 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service