जाने क्यों आजकल
जब भी
देखता / सुनता हूँ ख़बरें
तो धड़कते दिल से
यही सुनना चाहता हूँ
न हो किसी आतंकी घटना में
किसी मुसलमान का हाथ...
अभी जांच कार्यवाही हो रही होती है
कि आनन्-फानन
टी वी करने लगता घोषणाएं
कि फलां ब्लास्ट के पीछे है
मुस्लिम आतंकवादी संगठन...
बड़ी शर्मिंदगी होती है
बड़ी तकलीफ होती है
कि मैं भी तो एक मुसलमान हूँ
कि मेरे जैसे
अमन-पसंद मुसलमानों के बारे में
काहे नहीं सोचते आतंकवादी...
Comment
आदरणीय अनवर जी:
दिल के मासूम अहसास आपने बहुत ही खूबसूरती से पेश किए हैं।
सच, समझ नहीं आ रहा कि मैं आपकी प्रशंसा किन शब्दों से करूँ।
आपके एहसास मेरे मन के एहसास हैं।
बधाई,
विजय निकोर
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