मूँगफली खा चच्चा बोले
बहू आज कुछ चने भिगोले
कल को रोटी संग बनाना
जरा चटपटे आलू-छोले l
सारा दिन तू काम में पिस्से
सुने पड़ोसी के भी किस्से
सखियों से गपशप करती है
कर देंगी वो घर के हिस्से l
मारा बहु ने घर में पोंछा
मुँह सिकोड़ बातों पर सोचा
खुद तो इत-उत गप्प लड़ाते
फिर क्यों मेरा ही मुँह कोंचा l
-शन्नो अग्रवाल
Comment
आदरणीया सादर, बहुत सुन्दर खट्टी मीठी तकरारें. गाकर मन प्रफुल्लित हुआ. सादर बधाई स्वीकारें.
वेदिका जी, रचना आपको बहुत पसंद आयी इसे जानकर मन इतना मुदित है कि बता नहीं सकती :) पर आप लोग कोई गलत अर्थ ना लगायें हर काव्य-रचना का निर्माण कवि के व्यक्तिगत अनुभवों पर नहीं होता. एक लेखक व कवि दुनिया को काल्पनिक आँखों से या दूसरों की आँखों से भी देखता है. मेरे ना तो ससुर जिन्दा हैं और ना ही कोई चचिया ससुर ही थे. और तइया ससुर तो शादी के पहले ही गुजर चुके थे. सो ये सब मेरी कल्पना की ही खुराफात है.
विजय जी, रचना आपको अच्छी लगी इसके लिये आभार सहित धन्यबाद.
प्रदीप जी, आभारी हूँ...रचना पसंद करने का हार्दिक धन्यबाद.
अजय जी, आपका बहुत-बहुत धन्यबाद कि रचना आपको पसंद आयी.
सौरभ जी, इस रचना को कल रात लिखा था...बस यूँ ही कुछ खुराफाती बिचार आकर परेशान करने लगे थे और उन्हें शब्दों में उतार कर सर्वप्रथम ओ बी ओ की अनुमति चाही. प्रेषित करते हुये डर रही थी फिर भी चांस लिया और आप सब की दुआओं से इसे स्वीकृति मिल गयी :) मेरे दिमाग में पता नहीं क्यों इतनी दूर विदेश में बैठे हुये भी भारत के गाँवों के काल्पनिक चित्र क्यों उभर आते हैं. आँखों के आगे घर में हुकुम चलाने वाले बड़े-बूढ़े घूमते नजर आने लगते हैं - कभी खखारते हुये कभी गमछा से पसीना पोंछते हुये तो कभी औरों से बतियाते हुये.
आपका हार्दिक धन्यबाद कि रचना आपको पसंद आयी. पढ़कर आपका मन मुदित हुआ और मेरा लिखना भी सार्थक हुआ :)
शिरोमणि जी, रचना पसंद करने का हार्दिक धन्यबाद.
लक्ष्मण प्रसाद जी, रचना आपको आनंददायक लगी इसका बहुत-बहुत धन्यबाद.
प्राची जी, आपने इस काल्पनिक रचना का आनंद लिया ये पढ़कर बहुत खुशी हुई :) आपका हार्दिक धन्यबाद.
वाह! वाह! बहुत ही रोचक घटना का निर्माण हुआ है काव्य रूप में आदरणीया शन्नों जी
सारा दिन तू काम में पिस्से .. आप की भी बहुत चिंता है उन्हें :)
भले ही उन्होंने आपका मुहं कोंचा... :( । शुभकामनायें
सादर वेदिका
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