+++++++++++++++++++++++++++++++++++
राजनीति के सिलबट्टे पर घिसता पिसता आम आदमी
मजहब के मंदिर मस्जिद पर बलि का बकरा आम आदमी ||
राजतंत्र के भ्रष्ट कुएं में पनपे ये आतंकी विषधर
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||
क्या है हिन्दू, क्या है मुस्लिम क्या हैं सिक्ख इसाई प्यारे
लहू एक हैं - एक जिगर है एक धरा पर बसते सारे
एक सूर्य से रौशन यह जग , एक चाँद की मस्त चांदनी
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||
चाँद देखकर ईद मनाओ और पूज कर पूरनमासी
गीता पढ़कर धर्म जगाओ पढ़ कुरान आयत पुरवा सी
गुरुवाणी में सत्य दरश है ,त्याग बाइबल की अनुगामी
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||
खून बहाकर क्या पाओगे , ख़ाक कोई जन्नत जाओगे
मरने से तुम भी डरते हो तुम क्या मौत बदल पाओगे
खुदा देख पछताता होगा किसने ये बन्दूक थमाई
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||
याद रहे मेरे भारत में भगत सिंह भी हैं ,गाँधी भी
शांति मार्ग के बुद्ध देव भी , राम कृष्ण जैसी आंधी भी
यही इशारा काफी होगा समझदार तुम भी हो काफी
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||.............. manoj
Comment
बहुत बढ़िया है आदरणीय -
शुभकामनायें |
बहुत सुन्दर वास्तविकता का दर्प दिखाती सामयिक रचना.
राजनीति के सिलबट्टे पर घिसता पिसता आम आदमी
मजहब के मंदिर मस्जिद पर बलि का बकरा आम आदमी ||
राजतंत्र के भ्रष्ट कुएं में पनपे ये आतंकी विषधर
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||.....ज़बरदस्त कथ्य है..
बहुत बधाई आ. मनोज जी,
आपकी रचनाओं को पढ़ना सदैव सुखकर रहा है, भाव कथ्य चिंतन प्रवाह सत्य के धरातल पर अपने साथ बहा ले जाता है...सादर.
धन्यवाद , गणेश जी "बागी " जी बहुत्सुन्दर पंक्तियाँ हैं आपकी |
बहुत ही सामयिक रचना, हाल के घटनाओं से उपजेभावों को बहुत ही संजीदगी से पिरोया है मनोज जी , बधाई स्वीकार करें ।
अपनी ही एक भोजपुरी घनाक्षरी की दो पक्तियां याद आ रही है कि ...
होला सियासत खाली, धरम के नाम पर,
मसजिद में राम के, देखेला आम आदमी ||
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online