For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज की बात हम तलक ही रहे
ये मुलाक़ात हम तलक ही रहे ।

कुछ सवालात पूछ बैठे हम
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।

उनके इल्ज़ाम सब थे झूठे मगर
मेरे इस्बात हम तलक ही रहे ।

डर है तुझको बहा न ले जाये
ऐसी बरसात हम तलक ही रहे ।

इन सितारों को बाँट ले दुनिया
चाँदनी रात हम तलक ही रहे ।

(इस्बात - प्रमाण/सुबूत)

Views: 815

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 19, 2013 at 11:51am

कुछ सवालात पूछ बैठे हम 
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।

इन सितारों को बाँट ले दुनिया 
चाँदनी रात हम तलक ही रहे ।----वाह क्या बात कही दिली दाद कबूले इन लाजबाब शेरों के लिए बहुत बधाई इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए  

Comment by वीनस केसरी on February 19, 2013 at 1:39am

वाह भाई वाह वा
जिंदाबाद जिंदाबाद
कमाल कर दिया
आशीष जी आपकी यह पहली ग़ज़ल है जिसने झूमने पर मजबूर कर दिया ... मेरी जानकारी में यह आपकी ६ या ७ ग़ज़ल है
इतने कम समय में ऐसी पुख्तगी के क्या कहने ...

कमाल की रदीफ़ चुनी और अंत कर बखूबी निभा ले गये ...
सच कहूँ तो आपने इस ग़ज़ल से चौंका ही दिया

ढेरो ढेर दाद क़ुबूल करें ...
भाई कम लिखें मगर ऐसा ही लिखें ...
या इससे अच्छा :)))))

कुछ सवालात पूछ बैठे हम
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।
वाह भाई वा

एक शेर की ओर ध्यान चाहूंगा

उनके इल्ज़ाम सब थे झूठे मगर
मेरे इस्बात हम तलक ही रहे ।

अपने लिए "मेरे" और "हम" का प्रयोग एक ही शेअर में नहीं करना चाहिए .... हालांकि एक लफ़्ज़ (हम) रदीफ़ में आ गया है इसलिए छूटमिल सकती है मगर अगर इससे बचने का उपाय किया जाये तो बेहतर होगा, ख़ास कर तब जरूर जब शेर खराब न हो रहा हो 

आप यह भी कर सकते थे ...

उनके इल्ज़ाम सब थे झूठे मगर
सारे इस्बात हम तलक ही रहे ।

Comment by वेदिका on February 19, 2013 at 1:29am

कुछ सवालात पूछ बैठे हम
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।

 सभी शेर एक से बढकर एक 

बधाई !!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2013 at 11:18pm

:)  मेरा सौभाग्य सर   :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 18, 2013 at 11:16pm

आप धीरे-धीरे ओबीओ परंपरा से वाकिफ़ होते जायेंगे भाईजी.

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2013 at 9:31pm

आदरणीय भी, भाई भी ऊपर से जी भी |
क्यों बच्चे को लज्जित कर रहे हैं सर ?
आप आशीष भी कह दें तो आशीष प्राप्त हो जायेगा मुझे |  :) :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 18, 2013 at 8:40pm

दिले नादां तुझे हुआ क्या है .. . बड़ा प्रसिद्ध मिसरा है. २१२ या ११२ औ आखिर में २२ या ११२ थोड़ा भ्रमित करता है.

आपसे यही जानना चाहता था, आदरणीय भाईजी.

सधन्यवाद

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2013 at 8:39pm

शुक्रिया सर |

लिखते समय मुझे भी २१२ और ११२ में कुछ कठिनाई हुई लेकिन फिर सब ठीक हो गया | प्रणाम |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 18, 2013 at 8:33pm

जी समझ गया था, आशीषजी..   हार्दिक धन्यवाद.. . इस पर अपने मंच पर भी तरही मुशायरा आयोजित हो चुका है, भाईजी.

आपकी ग़ज़ल पर पुनः दिल से बधाई कह रहा हूँ.. .

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2013 at 8:08pm

धन्यवाद् आ. रेखा जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service