For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजनीति की निराली कहानी

अभी हाल ही में मुझसे एक पुराने जान-पहचान का अरसे बाद मिला। बरसों पहले जब मैं उससे मिला करता था तो उसके पास खाने के लाले पड़े थे। वह कुछ एक आपराधिक कार्यों में भी लिप्त था। कई बार जेेेल की हवा भी खा चुका था। कल तक जो पूरे मोहल्ले को फूटी आंख नहीं सुहाता था, आज वही लोगों की आंख का तारा बना हुआ है। जब वह मुझे मिला तो मैंने उससे कुषलक्षेम पूछा। उसने बताया कि वह इन दिनों राजनीति में खूब कमाल दिखा रहा है। मैंने कहा कि ऐसा कर लिया, जो बिना किसी योग्यता के, नाम भी कमा लिया और पोटली भी भर ली, वह भी ऐसे, जैसे अब कई पुष्तों तक कमाने की जरूरत ही नहीं। उसने मेरी बातों के पूरे हुए बगैर तपाक से बोला - भला, राजनीति में कोई योग्यता की जरूरत होती है। कुछ मत करो, बस कुछ दिनों तक बड़े नेताओं के पीछे हो लो। उसका जी हिजूरी करो, चमचागिरी और चापलूसी की सारी हदें पार कर दो। देखो कैसे, उस नेता के खासमखास बनते देर नहीं लगेगी। इसके बाद तो जैसे चांदी ही नहीं, बल्कि सोना ही सोना है। और तो और, बड़े नेता के साथ खुद की पहचान ऐसे बनाओ, जैसे कई और नेता, सामने टिक ही नहीं पाए।
मैं तो उसके तोते की तरह बोल, सुनकर सोच में पड़ गया कि कल तक जिसके मुंह में लड़खड़ाहट भरी आवाज आती थी, वह आत्मविष्वास से कैसे लबरेज है, जरूर ही यह हरी पत्ती का कमाल है, क्योंकि यह जिसके पास होती है, वह कुछ ज्यादा ही आत्मविष्वासी हो जाता है। कुछ देर बाद फिर मैं सोचने लगा, मैं क्यों छोटी-मोटी नौकरी कर जबरन का माथापच्ची कर रहा हूं और ये है कि राजनीति में आते ही जैसे रातों-रात फर्स से अर्स तक की दूरी तय कर लिया, जिसकी उम्मीद षायद ही कोई और काम करके की जा सकती है। कोई बड़ा उद्योगपति भी इतने कम समय में इतना अधिक मालदार नहीं बनता, जितना राजनीति की परछाई पड़ते ही। राजनीति की गहरी गंगा में डूबकी लगाते ही जैसे नोटों की बरसात होने लगती है, बस मार्केट में थोड़ा नाम होना चाहिए। मैं सोचने लगा कि कल तक जिन हाथों में खोटा सिक्का तक नहीं होता था, आज वहां करारे नोट भरे पड़े हैं।
उस मेरे परिचित ने राजनीति के बारे में और गूढ़ बातें बताया। वैसे तो किसी नौकरी में कोई व्यक्ति तय उम्र के बाद रिटायर हो जाता है, लेकिन राजनीति ही एक ऐसा आमदनी बटोरने का एकमात्र रास्ता है, जहां का दरवाजा किसी भी उम्र में भी खुला रहता है। ना किसी अनुभव की जरूरत होती है, बस एक गुण महत्वपूर्ण मानी जाती है कि राजनीति में तिकड़मबाजी आनी चाहिए, क्योंकि इसके बिना कैसे कोई कुर्सी के पाये को मजबूत कर सकता है। मीठे बोल बोलने में माहिरों की तो जैसे राजनीति में किस्मत ही चमक जाती है। कोई भी स्थिति बन जाए, मगर मीठा बोलना मत छोड़ो, यही सबसे बड़ा मूलमंत्र है, राजनीति में लंबे समय तक जमे रहने के लिए। जनता भी बेचारी है, उसे कुछ नहीं चाहिए, बस चाहिए तो बस दो मीठे बोल। विकास और भ्रश्टाचार से उसे कोई लेना-देना नहीं है, चाहे कोई उसके हिस्से पर डाका डालने से परहेज न करे। राजनीति में पैर जमाने के लिए न तो पढ़ा-लिखा होना जरूरी है और न ही किसी तरह के प्रषिक्षण की। बषर्ते एक जरूरत है, तो वह हैं, किसी बड़े नेता का वंषज होना। उसने बताया कि देष की राजनीति में ऐसे ही विलक्षण प्रतिभा के लोग ही तो छाए हुए हैं, जिनके पास आजादी के पहले राजनीति करने वालांे की तरह, कोई विषेश गुण या योग्यता, भले ही ना हो, लेकिन उसके माथे पर इस बात का ठप्पा तो है कि वह किसी बड़े नेता का रहनुमाई है। इन बातों को सुनकर राजनीति की नाव में गोते लगाने के बाद मेरे माथे पर बल पड़ा, किसी ने ठीक ही कहा है कि राजनीति बड़ी कुत्ती चीज है, यही कारण है कि जनता, उस कुतिया से दूर ही रहना चाहती है, जिसकी पूंछ कभी सीधी नहीं हो सकती।
मेरे उस पुराने जान-पहचान वाले ने राजनीति का इतना बखान किया तो मैंने भी सोचा कि क्यों न, राजनीति में हाथ आजमाया जाए, किन्तु मन ही मन सोचने लगा कि राजनीति में दांव तो वही लगा सकता है, जो अभिमन्यु की तरह मां के पेट से तिकड़म के सभी गुण लेकर आया हो। मुझे राजनीति की गहराई की जानकारी नहीं रही है। मैंने सोचा कि कैसे राजनीति की गहराई को नापा जाए, लेकिन यह सब मेरी बस की बात कहां थी। हमारी इतनी हिम्मत कहां कि हम किसी का चमचागिरी कर पाएं और चापलूसी कर पाएं, क्योंकि राजनीति में पैर जमाने का महत्वपूर्ण गुण तो यही है। यह कोई आसान काम नहीं है, इस काम को जो कर ले, समझो, वह दुनिया का सभी काम कर सकता है। वह पूरे मनायोग से काम करे तो आसमां से भी तारे तोड़कर ला सकता है। बाद में राजनीति की परछाई को देखकर सोचते रह गया और मैंने देखा कि वह मेरे सामने से ओझल हो गई है। मैं मुस्कुराता रह गया और फिर मेरे समझ में आ गई कि राजनीति की कहानी बड़ी निराली है।

राजकुमार साहू, जांजगीर, छत्तीसगढ़
लेखक व्यंग्य लिखते हैं

Views: 331

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service