For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तनहाई से जंग ठनी है आ भी जाओ ना

हर आहट पे सांस थमी है आ भी जाओ ना॥

सूनी दिल की आज गली है आ भी जाओ ना॥

अरमानों के गुलशन में बस तेरा चर्चा है,

हरसू तेरी बात चली है आ भी जाओ ना॥

पूनम की इस रात में तेरी याद बहुत आती है,

तारों की बारात सजी है आ भी जाओ ना॥

आँखें प्यासी, होंठ हैं प्यासे, प्यासा मेरा मन,

दिल में भी इक प्यास दबी है आ भी जाओ ना॥

भूल गया हूँ ख़ुद को रब को और इस दुनिया को,

केवल तेरी याद बची है आ भी जाओ ना॥

तेरे बिन दिल का गुलशन वीराना लगता है,

मुरझाई चाहत की कली है आ भी जाओ ना॥

“सूरज” के ढलते ही यादें पीछा करती हैं,

तनहाई से जंग ठनी है आ भी जाओ ना॥

डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”

Views: 652

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 6, 2013 at 11:36pm

वाह! बहुत सुन्दर गजल आदरणीय डॉ. सुर्याबाली 'सूरज' जी बहुत बहुत दाद कुबुलें.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on February 15, 2013 at 5:55pm

आदरणीय सूरज जी 

सादर 

वाह कहने के सिवा कर ही क्या सकता हूँ 

बिमारी लाइलाज नही बता ही सकता हूँ 

ठीक होना है तो कहीं और अब ना जाना 

उनके हसीं सपनो में ही  खो जाना 

आएँगी जब पल्लू  में अंगुली दबाकर

थाम कर हाथ कहना अब कभी जाओ न  

आओ न आओ न 

बधाई 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 15, 2013 at 12:07pm

उपासना जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by upasna siag on February 14, 2013 at 6:34pm

बहुत सुन्दर ........

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 14, 2013 at 6:07pm

परवीन जी नमस्कार ! आपकी दिली दाद मिली ...अच्छा लगा। आपका बहुत बहुत शुक्रिया॥ 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 14, 2013 at 10:38am

विजय जी नमस्कार ! दाद के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Parveen Malik on February 14, 2013 at 10:37am

डॉ साहब हमेशा की तरह खूबसूरत ग़ज़ल .... जितनी तारीफ की जाये कम है !

बधाई !

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 14, 2013 at 10:37am

वीनस भाई आप आए बहार आई...बड़े दिनों के बाद आया हूँ...आपको बहुत मिस किया॥लेकिन आपकी रचनाए पढ़ता रहा ....आपको बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by vijay nikore on February 14, 2013 at 9:26am

तेरे बिन दिल का गुलशन वीराना लगता है,

मुरझाई चाहत की कली है आ भी जाओ ना॥

सारे ही भाव अच्छे लगे।

बधाई।

विजय निकोर

Comment by वीनस केसरी on February 14, 2013 at 12:45am

तुमने पुकारा और हम चले आए ... जान हथेली पर ले आए रे ... हो $$$$$

:)))))))

अच्छी ग़ज़ल है भाई
बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभीवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ रिचा जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। भाई अमित जी के सुझाव से यह और निखर…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
14 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की इस्लाह क़ाबिले गौर…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये बहुत कुछ सीखने को मिलता है…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह से और भी निखर गयी…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय जयनित जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका, सुधार की कोशिश की है। सादर"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका बारीक़ी से ग़ज़ल की त्रुटियाँ समझाने और इस्लाह के…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service