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ठीक है, ठीक है, ठीक है
मूर्खता घाघ की लीक है

चाटना, काटना, बाँटना 
लूट की नीच तकनीक है

झूट है न्याय की भावना 
आ रही देश को हीक है

लाल है हुक्म के होंठ क्यों 
खून है या रची पीक है

राज है तो हमें डर नहीं 
सोच ये तंत्र की ज़ीक़ है

ज़ीक़ – तंग
~अमितेष 

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Comment by अमि तेष on December 27, 2012 at 6:23pm

shuakriya Laxman jee 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 27, 2012 at 6:00pm

ठीक है रचना ठीक लगी बधाई 

Comment by अमि तेष on December 27, 2012 at 5:04pm

शुक्रिया अरुण जी, प्रदीप जी और महिमा जी .......

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 27, 2012 at 4:58pm

ठीक है भाई ठीक है 

ये भी एक तकनीक है 

बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 27, 2012 at 3:53pm

मित्र अमितेष ठीक है ठीक है ठीक है कहने के बाद आपने इतनी सारी बातें कह दीं जो बिलकुल भी ठीक नहीं हैं सुन्दर प्रस्तुति बधाई स्वीकारें.

Comment by MAHIMA SHREE on December 27, 2012 at 3:50pm

लाल है हुक्म के होंठ क्यों
खून है या रची पीक है... क्या खूब कही अमितेष जी ..बधाई आपको

Comment by अमि तेष on December 27, 2012 at 3:33pm

शुक्रिया सौरभ जी ............हीक जय का मतलब होता है घिन आना 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2012 at 3:14pm

भाई अमितेषजी, आजकल एक ’ठीक है’ ने सब गोलगपाड़ा कर रखा है.  उसी ’ठीक है’ को आपने बखूबी बांधा है. बधाई स्वीकार करें.

’हीक’ का सही मतलब क्या है, भाई ?

Comment by अमि तेष on December 27, 2012 at 12:17pm
शुक्रिया
Comment by Shyam Narain Verma on December 27, 2012 at 12:16pm

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