For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आप तब गोली चलाना सीखिये..........

खुद को जब खुद से बचाना सीखिये
आप तब गोली चलाना सीखिये

पीर को खंजर, बनाना सीखिये
गर्दनें गम की उड़ाना सीखिये

पी रहे है खून दुनिया का बड़ा
खून के इनको बहाना सीखिये

दाग ये काले, घिनौने है बड़े
दाग को जड़ से मिटाना सीखिये

चोट से, मरते नहीं है नाग जो
आग से इनको जलाना सीखिये

.
~अमितेष 

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 9:03pm

जुल्म से खुद को बचाना सीखिए 

आप अब गोली चलाना सीखिए -----मतले का शेर यूँ करके देखिये ---बहुत अच्छी कोशिश है प्रयास रत रहें 
Comment by अमि तेष on December 25, 2012 at 12:25pm

शुक्रिया बागी सर ............क्या इसे यूँ भी लिख सकते है ......

आप तो गोली चलाना सीखिये
खुद-ब-खुद खुद को बचाना सीखिये

पीर को खंजर, बनाना सीखिये
गर्दनें गम की उड़ाना सीखिये

चोट से, मरते नहीं है नाग जो
आग से इनको जलाना सीखिये

पी रहे है खून दुनिया का बड़ा
खून के इनको बहाना सीखिये

दाग ये काले, घिनौने है बड़े
दाग को जड़ से मिटाना सीखिये
~©अमितेष


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 25, 2012 at 10:31am

खुद को जब खुद से बचाना सीखिये
आप तब गोली चलाना सीखिये..................शेर जब तब में उलझ सा गया है, एक बारगी ऐसा भी लग रहा है कि खुद को खुद से खतरा है जिससे बचने कि बात हो रही है ,  यदि शेर को ऐसे कहें तो ....

खुद को अब खुद ही बचाना सीखिये
आप भी गोली चलाना सीखिये

पीर को खंजर, बनाना सीखिये
गर्दनें गम की उड़ाना सीखिये...........सुन्दर शेर ,

पी रहे है खून दुनिया का बड़ा
खून के इनको बहाना सीखिये.........मिसरा सानी अस्पष्ट |

दाग ये काले, घिनौने है बड़े
दाग को जड़ से मिटाना सीखिये......यह शेर बढ़िया बन पड़ा है |

चोट से, मरते नहीं है नाग जो
आग से इनको जलाना सीखिये...... भर्ती का शेर |

Comment by अमि तेष on December 24, 2012 at 6:17pm

sukriyaa sir 

Comment by vijay nikore on December 24, 2012 at 6:07pm

दाग ये काले, घिनौने है बड़े
दाग को जड़ से मिटाना सीखिये

अच्छा कहा है।

विजय निकोर

Comment by अमि तेष on December 24, 2012 at 1:00pm

शुक्रिया सर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 24, 2012 at 12:32pm

बहुत खूब सर जी बधाई 

Comment by अमि तेष on December 24, 2012 at 11:35am

शुक्रिया भाई ......

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 24, 2012 at 11:30am

अमितेष जी वर्तमान परिस्थितियों का ग़ज़ल के रूप में बहुत ही बारीकियों से वर्णन किया है आपने, जागरूक करती ग़ज़ल बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service