For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पुकार 

---------
साहित्य के सिपाहसालारों
धार लेखनी क्यों पडी मंद 
हाहाकार मचा चहुँ ओर 
समर भूमि में छिड़ा है द्वन्द 
यूँ ही अग़र सोते रहे 
लिखेगा कौन इतिहास तुम्हारा 
बेवजह तुमको ढ़ोते रहे
बदनाम होगा नाम हमारा 
इतिहास  तुम्हारा ऐसा न था
रन में वीरों को सींचा था  
लिखते कैसे तुम प्रणय गीत
बैरी हुआ जब अपना मीत
सोने वाले तुम कभी न थे
रोने वाले तुम कभी न थे 
मत रेंगो तुम अब पड़े पड़े   
मौन रहो   अब खड़े खड़े 
दुश्मन का न हो पूरा  सपना 
उठाओ शीघ्र गांडीव अपना 
 
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
२३-१२-२०१२  

Views: 543

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 27, 2012 at 5:13pm

साहित्यिक तकनिकी पर यह रचना भले ही बेकार हो पर समय की मांग पर मुख्य प्रष्ट पर स्थान मिलता तो अच्छा होता 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 27, 2012 at 5:11pm

आदरणीय अशोक जी, 

सादर 

हमेशा टूटी हैं और अब भी टूटेंगी. 

आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 27, 2012 at 5:10pm

आदरणीय भ्रमर जी, सादर 

ऐसा ही होगा. देर या सवेर 

आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 27, 2012 at 5:09pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, 

सादर 

आपने यदि मुड के देखा होता तो मैं ठीक आपके पीछे ही था और रहूँगा. 

आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 27, 2012 at 5:07pm

आदरणीय बाग़ी जी, 

सादर 

आपने द्रष्टि डाली .

आभार 

हिम्मत बढ़ी 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 27, 2012 at 5:06pm

स्नेही अनंंत जी 

आभार. 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 26, 2012 at 6:16pm

आदरणीय प्रदीप जी सादर, साहित्यकारों कि तलवारें तो खूब चल रही हैं किन्तु यह विआयपी सुरक्षा कि दीवारों को नहीं तोड़ पा रही है

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on December 25, 2012 at 10:40pm

सोने वाले तुम कभी न थे

रोने वाले तुम कभी न थे 
मत रेंगो तुम अब पड़े पड़े   
मौन रहो   अब खड़े खड़े 
दुश्मन का न हो पूरा  सपना 
उठाओ शीघ्र गांडीव अपना 
बहुत सुन्दर जज्बात आदरणीय कुशवाहा जी ..काश लोग इस रचना की गंभीरता को समझें जागें गांडीव उठायें तो आनंद और आये ...
भ्रमर 5 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 12:39pm

जब जब देश में समाज में इस तरह का  प्रतिकूल वातावरण बना तब तब लेखकों की कलम की धार चली इतिहास गवाह है उसी जोश और भावनाओं का आह्वान करती एक औज  पूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई इस पुकार में हमें शामिल समझिये


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 25, 2012 at 10:48am

आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, साहित्यकारों को उनका कर्त्तव्य स्मरण कराती हुई एक अच्छी रचना , बधाई हो |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
22 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service