For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा : "अधूरी"

हे ! शुभा तुम बहुत सुंदर हो , तुम्हें फुर्सत में बैठकर उस ऊपर वाले ने बनाया है, इंशा अल्लाह आँखें कितनी सुंदर हैं, ये सब सुनते समझते शुभा उम्र की दहलीज धीरे धीरे पार कर रही थी, ऊपर से जितनी चंचल और शोख अन्दर से कही बहुत शांत बिलकुल झील की सतह की तरह. 

उसकी छोटी बहन की शादी की तैयारियां चल रही हैं शुभा ने अपनी सबसे प्रिय दोस्त सुप्रिया से बताया -क्यों ? वो तो सुंदर भी नहीं फिर उसकी शादी पहले क्यों..सुप्रिया ने सुनते ही तपाक से कहा,,,नहीं बाबा ऐसी बात नहीं है, मीनू की जॉब ट्रान्सफर हो गयी है दूसरे शहर में और लड़का भी उसी शहर में अच्छी पोस्ट पर है इसीलिए उसकी शादी पहले कर दे रहे हैं, शादी हो जायेगी तो दोनों आराम से रहेंगे, अकेले रहना मुश्किल होगा,,फिर हमारा परिवार तो यहाँ सेटल है,,,चल ठीक है उसके बाद तू अपना नंबर लगा अच्छी जॉब, सर्वगुण संपन्न जो तुझसे शादी करेगा निहाल हो जाएगा, शुभा ने कुछ नहीं कहा बस एक हल्की सी मगर दर्द की लहर उसके चेहरे पर फ़ैल गयी. खूब धूम धड़ाके से शादी में शुभा ने शिरकत की , हर जिम्मेदारी शुभा ने निभाई ,,,सब कुछ हंसी खुशी ख़तम , मीनू अपने पति के साथ शिफ्ट हो चुकी थी,,,और अचानक एक दिन शुभा ने जॉब छोड़ दी,,सुप्रिया ने बार बार पुछा शुभा ने कहा नहीं उसे कुछ दिन माँ, पापा के साथ बाहर जाना है, कब तक लौटेंगे पता नहीं, फिर मीनू की देखभाल भी करनी है , उसके घर में नया मेहमान आने वाला है...सुप्रिया ने अनमने मन से सूना मगर निष्कर्ष कुछ भी नहीं था ,

आज तीन वर्ष बीत चुके थे शुभा की कोई खबर नहीं थी, कहाँ कहाँ नहीं खंगाला , सोशल नेटवर्किंग के माध्यम से उसे सफलता तो मिली मगर आंशिक रूप से, आखिर एक दिन शुभा का सन्देश आया मैं तुझसे मिलने आ रही हूँ , और वो दिन भी आ गया शुभा सुप्रिया दोनों एक ही बिस्तर पर चाय की सिप ले रही थी,,,मगर माहौल ग़मगीन था,,,

शहर छोड़ने के बाद शुभा २ महीने हार्ट के ऑपरेशन के लिए अस्पताल में थी , बहुत बड़ा होल था उसके ह्रदय में , डॉक्टरों को काफी मशक्कत करनी पडी थी, गले से नीचे पेट तक चीर फाड़ के निशान जो बहुत ही बदसूरत बना गए थे उसको..इसीलिए गला बंद कुर्ते पहनना शुरू किया उसने, और फिर बीच बीच में तबियत बनती, बिगडती रही थी, शादी के लिए कई जगह से रिश्ते आये मगर उसकी वास्तविकता के बाद नकारात्मक जबाब, और भी कुछ परेशानी है जिसकी वजह से वो "अधूरी" की संज्ञा से चरितार्थ हो जायेगी ,,कह कर शुभा शांत हो गयी...अब आगे क्या करेगी ..सुप्रिया ने छूटते ही पूछा ,कुछ नहीं गाँव के स्कूल में टीचर की नौकरी है ,,जीवनयापन के लिए काफ़ी है , घर अपना है इसलिए खर्चे के बाद बचत भी हो जाती है और जो अधूरापन है जीवन में उसे वो जिसने मुझे बनाया है वही पूरा करेगा नहीं तो उसकी दुनिया तो है ही हिसाब किताब के लिए,,,चल कही बाहर चलते हैं घूमने के लिए,,,,और दोनों ख़ामोशी से घर से बाहर निकल गयी,,

Views: 568

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on December 18, 2012 at 6:52pm

बीमारी और विवाह, दो इमोशनल सब्जेकट को एक साथ लाने का प्रयास बढिया है...

सादर....

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on December 18, 2012 at 9:48am

सुन्दर कथ्य है आदरणीय सुमन जी, पर कुछ अधिक खिंच गया है, इसलिए कसावट कमजोर हो गई है ! शब्दों पर थोड़े संयम की आवश्यकता है ! बहरहाल, अच्छे कथ्य के लिए बधाई !

Comment by SUMAN MISHRA on December 17, 2012 at 11:03pm

saurabh ji dhanyabaad .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 17, 2012 at 10:41pm

जीवन की किताब से उद्धृत एक पॉरा. कई ज़िन्दग़ियाँ ऐसे ही चलती हैं, चुपचाप.

संप्रेषणीयता को दिशा दें.

Comment by SUMAN MISHRA on December 17, 2012 at 10:10pm

bahut bahut dhanyabaad  seema ji

Comment by seema agrawal on December 17, 2012 at 8:29pm

अच्छी कथावस्तु सुमन जी शब्दों के प्रयोग में थोड़ी कंजूसी बारात कर कथा को और सुगठित किया जा सकता है 
आपकी लेखनी से विचार और चिंतन के  साथ संवेदनशीलता की जो धार बह रही है उसके लिए आपको बहुत बधाई देना चाहूंगी .....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service