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टूटता ये दिल रहा है जिंदगी भर,
दर्द भी हासिल रहा है जिंदगी भर,

अधमरा हर बार जिन्दा छोड़ देना,
मारता तिल-2 रहा है जिंदगी भर,

देखकर मुझको निगाहें फेर लेना,
दौर ये मुश्किल रहा है जिंदगी भर,

बेवजह मुझको मिली बदनामियाँ हैं,
जबकि वो कातिल रहा है जिंदगी भर,

नींद से मैं जाग जाता हूँ अचानक,
खौफ यूँ शामिल रहा है जिंदगी भर,

चाह है मैं चाहता उसको रहूँ बस,
इक यही आदिल रहा है जिंदगी भर।

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Comment by अरुन 'अनन्त' on December 16, 2012 at 2:09pm

तहे दिल से शुक्रिया आदरणीया सुमन जी.

Comment by SUMAN MISHRA on December 16, 2012 at 1:51pm

देखकर मुझको निगाहें फेर लेना
दौर ये रहा मुश्किल जिंदगी भर,,,,,बहुत ही मर्म से पूर्ण रचना अरुण जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 16, 2012 at 1:24pm

शुक्रिया आदरणीय अविनाश सर

Comment by AVINASH S BAGDE on December 15, 2012 at 8:56pm

बेवजह मुझको मिली बदनामियाँ हैं,
जबकि वो कातिल रहा है जिंदगी भर,nice

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 15, 2012 at 4:25pm

संदीप भाई आप कभी भी निःसंकोच कह सकते है आपका विचार वाकई काबिले तारीफ है आभार मित्र सहयोग व स्नेह हेतु.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 15, 2012 at 4:04pm

बहुत खूब साधा है आपने अनंत भाई जी
खूब दाद क़ुबूल करें 

इस शेर को ऐसे कहते तो शायद और खूबसूरत बन पड़ता 

टूटता ये दिल रहा है जिंदगी भर,
दर्द ही हासिल रहा है जिंदगी भर,

ये केवल मेरे विचार हैं ...............

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 15, 2012 at 3:50pm

आदरणीय गणेश सर आपका जवाब नहीं आपने तो पूरी ग़ज़ल का रूप ही निखार दिया, बिलकुल सही रहेगा सर अनेक-2 धन्यवाद

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 15, 2012 at 3:49pm

आभार आदरणीय लक्ष्मन सर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 15, 2012 at 3:26pm

//अधमरा हर बार जिन्दा छोड़ देना,
मारता तिल-2 रहा है जिंदगी भर,// अधमरा और जिन्दा , दोनों शब्दों का प्रयोग कुछ अच्छा नहीं लग रहा, यदि ऐसे करे तो ...

अधमरा हर बार करके छोड़ देना,
मारता तिल-2 रहा है जिंदगी भर,

//चाह है मैं चाहता उसको रहूँ बस,
इक यही आदिल रहा है जिंदगी भर।//

मिसरा उला देखे, चाह है मैं चाहता ....कुछ अटपटा सा लग रहा, यदि ऐसे कहे तो

आरजू है चाहता उसको रहूँ मैं

बाकी सभी शेर मस्त मस्त , बधाई स्वीकार करें |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 15, 2012 at 3:07pm

सुन्दर गजल के लिए बधाई अरुण शर्मा अनंत जी

कृपया ध्यान दे...

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