For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाँव के लोग सब ही जाने , घूमते हर गली हर मोड़ ।

चतुर सयानी
ससुर साजन करें जा धंधा , गाँव नगर जाते हर ओर ।
काफी दिन बाहर रह जाते , आते वे शाम कभी भोर ।
गाँव के लोग सब ही जाने , घूमते हर गली हर मोड़ ।
नव वधु रहे अकेली घर में , जब बाहर जाते सब छोड़ ।
बहने लगा पवन मस्ती में, काली घटा घिरी घनघोर ।
चारों ओर घिरा अंधेरा , घर नहीं सुने कोई शोर ।
बदमाशों की नीयत बदली , झट छिपकर चले चार चोर ।
लगे खोदने मिट्टी दिवार . , आहट सुनी बहु बड़ी जोर ।
देखा घर में सेंध बनाते , साहस की बाँध चली डोर ।
तेज दाव लेकर जा बैठी , सेंध समीप हाथ दे जोर ।
पहला सिर घुसा सेंध अन्दर , काटी सिर खींची झकझोर ।
दूसरे तीसरे चौथे का , धड़ सिर अलग करी बलजोर ।
देख चार लाश पड़ी घर में , कैसे निपटायें मन थोर ।
शोर कर चौकीदार गुजरा , जागते रहो जा हर ओर ।
चाचा जी जरा इधर आना , गया बोली सुन चीत चोर ।
एक लाश ठिकाने लगा दो , दो सौ में राखो मन मोर ।
सौ लो अभी सौ काम होते , उठाया कंधे पर ले जोर ।
चौकीदार गया जब ले कर , दूसरा लायी उसी ठोर ।
फेंक आया पैसा माँगने , बोली लाश पड़ा उस ओर ।
कैसे आया लाश उठाया , उठा ले गया दूजे छोर ।
दूसरी बार वहीं कहानी , पछता उठाया लगा जोर ।
तीनों दूसरे ओर फेंका , चौथा गया तालाब ओर ।
जोर लगा फेंका गड्ढे में , भगा कुम्हार चिल्ला जोर ।
लाठी ले दौड़ा पीछे से , चौकीदार चला उस ओर ।
मार गिराया कुम्हार को , बीती रात हो गया भोर ।
दौड़ी आ रोकी कुम्हारन , काहें मारता पिया मोर ।
मिट्टी काट रहा गड्ढे में, कैसे समझा तूने चोर ।
मैं फेंका लाश उठ भागा , आधी रात हो गया भोर ।
जा कर देख उसी गड्ढे में , मेरा पिया नहीं है चोर ।
जा कर देखा फिर पछताया , फिर जा कर देखा हर ओर ।
चार कोनें देख लाश पड़ा , दो सौ ले लो गलती मोर ।
ले जा इसको दूध पिलाना , बहन मैं समझा इसे चोर ।
रात की बात कह नहीं पाया , नौकरी न जाये बलजोर ।
वर्मा कितनी चतुर सयानी , आल्हा पढ़ना होते भोर ।
श्याम नारायण वर्मा

Views: 546

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 29, 2012 at 10:12am

बहुत समय बाद ऐसी रचना पढने को मिली, कुछ कमियों के बाबजूद हार्दिक बधाई वर्मा जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 29, 2012 at 9:54am

वीर छंद में ढालने का बहुत सुन्दर प्रयास किया है आपने शुरू से अंत तक रोचकता बनी रही बस विद्व जन आदरणीय सौरभ जी  की बातों पर गौर करना। बहुत बहुत बधाई  श्याम नारायण वर्मा जी |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 28, 2012 at 4:30pm

भाई श्याम नारायणी, आपने आल्हा या वीर छंद में पद्यात्मक कथा कही है. बधाई.

वैसे गेयता के लिहाज से इस रचना को अभी बहुत सधना है. हाँ, व्याकरण सम्मत शुद्धियों पर भी दृष्टि रहे, आदरणीय. कई स्थानों पर शब्द के यथोचित लिंग आदि त्रुटिपूर्ण हो गये हैं.

सादर

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on November 28, 2012 at 7:49am
श्याम नारायण वर्मा जी, बहुत ही सुन्दर कथा को कविता में उतारा है|
Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on November 27, 2012 at 11:01pm
श्याम नारायण वर्मा जी, बहुत ही सुन्दर कथा को कविता में उतारा है|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service