For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : आ मेरे पास तेरे लब पे जहर बाकी है

बहर : २१२२ ११२२ ११२२ २२ 

रह गया ठूँठ, कहाँ अब वो शजर बाकी है

अब तो शोलों को ही होनी ये खबर बाकी है

है चुभन तेज बड़ी, रो नहीं सकता फिर भी

मेरी आँखों में कहीं रेत का घर बाकी है

रात कुछ ओस क्या मरुथल में गिरी, अब दिन भर

आँधियाँ आग की कहती हैं कसर बाकी है

तेरी आँखों के समंदर में ही दम टूट गया

पार करना अभी जुल्फों का भँवर बाकी है

तू कहीं खुद भी न मर जाए सनम चाट इसे

आ मेरे पास तेरे लब पे जहर बाकी है

Views: 998

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on December 18, 2012 at 7:47pm

तू कहीं खुद भी न मर जाए सनम चाट इसे

आ मेरे पास तेरे लब पे जहर बाकी है .......... क्या बात है ! मज़ा आ गया पढकर ! :-))

बढ़िया गज़ल हुई है ! वाह !

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 17, 2012 at 3:18pm

बहुत बहुत धन्यवाद बागी जी, आपके इस स्नेह के लिए बहुत बहुत धन्यवाद


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2012 at 8:43pm

//है चुभन तेज बड़ी, रो नहीं सकता फिर भी

मेरी आँखों में कहीं रेत का घर बाकी है//

गज़ब गज़ब गज़ब, बहुत ही सुन्दर शेर , सभी अशआर बहुत ही उम्दा लगे , कुल मिलाकर शानदार ग़ज़ल धर्मेन्द्र भाई , बधाई स्वीकार करें |

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 11, 2012 at 12:29pm

vijay nikore जी, बहुत बहुत शुक्रिया जनाब।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 11, 2012 at 12:27pm

Raj Lally Sharma जी, शुक्रिया जनाब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 11, 2012 at 12:27pm

DEEPAK SHARMA 'KULUVI' जी, शुक्रिया जनाब

Comment by vijay nikore on December 11, 2012 at 5:02am

      धर्मेन्द्र जी, बहुत ही प्यारी और नाज़ुक ख़्यालों वाली

      गज़ब की गज़ल लिखी है आपने।

      विजय निकोर

Comment by राज लाली बटाला on December 11, 2012 at 12:38am

bahut khoob !

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on December 10, 2012 at 12:45pm

BAHUT KHOOB JANAW

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 1, 2012 at 8:55pm

Raj Tomarजी, शुक्रिया जनाब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service