For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निमंत्रण 

निमंत्रण कैसा भी हो 
सुखद प्यारा लगता है 
मिलते हैं कई लोग 
जग  न्यारा लगता है 
नारी शशक्तिकरण विषय पर 
काव्य पाठ का न्योता  आया 
जाना था पति पत्नी को 
कंजूस आयोजक ने 
एक टिकट भिजवाया
रूठी पत्नी मेरा जाना 
उसे फूटी आँख न भाया  
आशीष दे आयोजक को 
मैं  मन ही मन मुस्काया  
था विषय अति गंभीर 
पत्नी अगर ध्यान से सुनती 
वापस आ नित उससे ठनती
मिलना था प्रशस्ति पत्र 
और एक  रेशमी दुशाला 
इतना ही पा खुश हो जाता 
ये कवि मतवाला 
भरी सभा में रचना पढ़ 
ताली खूब बजवाते 
टी वी अखबारों में 
फोटो भी  छप  जाते
वापस घर आ मित्रों में 
थोथे गाल बजाते 
सीना चौड़ा कर 
सम्मलेन की बात बताते 
एक कवि को जग में क्या चाहिए 
तपती सड़क नंगे पाँव 
नदी किनारा सूखी  हवा खाइए 
दिवस कोई हो रात्रि में मनाते 
हिंदी दिवस अंग्रेजी में सजाते
यहाँ भी था वो ही अनोखा चलन 
अगले सम्मलेन में बुलाएँ जाएँ 
विषयान्तर कर कवि पढ़ रहे थे 
आयोजकों की शान में वंदन 
मुद्दे पर कविता किसी ने न सुनाई 
कवियत्रियों ने भी आवाज न उठाई 
प्रतीक्षा की घडी समाप्त हुई 
पाठ हेतु मेरी बारी आई 
जैसा देश वैसा वेश 
की नीति अपनाई 
विषयान्तर कर 
मैने भी कविता सुनाई 
 
  

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on October 26, 2012 at 1:44pm

आदरणीय अनिल जी, 

सादर अभिवादन 

अबकी साथ चलेंगे

प्रोत्साहन हेतु आभार. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on October 26, 2012 at 1:43pm

आदरणीया विनीता जी

सादर अभिवादन 

आभार. 

Comment by Anil chaudhary "sameer" on October 26, 2012 at 11:41am
आदरणीय प्रदीप जी,
सत्य पर आधारित सटीक कविता
कहते हैं-
दुनिया में रहना है तो काम कर प्यारे,
हाँथ जोड़ सबको सलाम कर प्यारे.....
फिर कवि बेचारा तो अपने आयोजको की कृपा पर ही निर्भर है और भारत देश में तो कविगण अपने आश्रय दाताओं का गुणगान करते चले आये हैं.......
मेरा भी नंबर कहीं लगवा दीजिये, मैं भी गुणगान की दो-चार कवितायें लिख लूं......
Comment by Vinita Shukla on October 26, 2012 at 11:33am

वास्तविकता को सुन्दर रूप से उजागर करने वाली पोस्ट . बधाई आदरणीय कुशवाहा जी.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on October 25, 2012 at 5:00pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी

सादर अभिवादन 

सत्य घटना है.

आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on October 25, 2012 at 4:51pm

आदरणीय लड़ीवाला जी

सादर अभिवादन.

मुझे प्रसन्नता हुई कि रचना को आपने सपरिवार मान दिया. पर ये हकीकत हे.  केवल  कविता नहीं. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on October 25, 2012 at 4:49pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ जी,

सादर अभिवादन 

आपकी जय हो 

ये वास्तविकता है. और घटी भी है. 

मैने तो कविता रूप दिया है. 

आभार.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on October 25, 2012 at 4:47pm

आदरणीय बागी जी, 

सादर अभिवादन 

ये सत्य घटना पर आधारित है. 

आपके स्नेह हेतु आभारी हूँ. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 10:37am

बहुत रोचक प्रस्तुति आदरणीय प्रदीप कुमार जी बहुत बहुत बधाई विजय दशमी की शुभ कामनाएं 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 25, 2012 at 9:17am

आदरणीय पहले तो रचना मन ही मन पढ़ी, फिर अपनी व्यथा सी समझ गुनगुनाई और रहा न गया तो पत्नी को भी सुनाई | बोली आप कवियों को हो दुहाई | पर मेरी तो प्रदीप जी आपको हो बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
20 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service