For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“मीत मन से मन मिला तू और स्वर से स्वर मिला,”
कर लिया यह कर्म जिस ने उस को ही ईश्वर मिला.
कांच   की  कारीगरी  में  जो   निपुण  थे  साथियों,
आजकल उन के ही  हाथों  में   हमें   पत्थर  मिला.
पेट भर  रोटी  मिली   जब   भूखे  बच्चों को  हुज़ूर,
सब कठिन प्रश्नों का उन को इक सरल उत्तर मिला.
चापलूसी  की   कला  में  जो  है  जितना  ही चतुर,
जग में उस को उतना ही सम्मान और आदर मिला.
यह पुरातन सत्य  है  कि  वानर की हैं संतान हम,
आज  मानव रूप में भी हम को  वही  बन्दर मिला.
प्रेम  का  आश्रम   सजाने  के   लिए आ श्रम  करें,
ऐसे  कर्मों  का जगत में फल भी सदा सुन्दर मिला.
एक प्यारी सी  ग़ज़ल बन ही  गयी  इस पँक्ति  से ,
बहर  भी   है  ख़ूबसूरत   क़ाफ़िया  सुन्दर  मिला.
मन  में रामायण सा ही वो बस गया है  ऐ ‘लतीफ़’   
यूं  सतत् पावन  पठन का  उम्र  भर अवसर मिला.

©अब्दुल लतीफ़ ख़ान (दल्ली राजहरा).

Views: 806

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 20, 2012 at 7:51pm

 जल  जीवन  का   सार   है ,  परखो   जी    श्री मान !
देते     हैं    सन्देश    यही ,    गीता    और    क़ुरान !!

सुन्दर सन्देश देती उम्दा रचना बधाई लतीफ़ भाई 
Comment by लतीफ़ ख़ान on November 20, 2012 at 4:52pm

[1]   जल चरणों के श्लोक यह ,  जग हित में शुभ-लाभ !

       पी कर विष   प्रदूषण  का ,   हुआ   नीर   अमिताभ !!

[2]   पाट कर   सब ताल कुँए   ,   हम ने   की यह भूल !

       पानी  -  पानी    हो    गई     ,    निज  चरणों की धूल !!

[3]   कर न  पायें  दीपक  ज्यों   ,    तेल   बिना    उजियार !

        उसी  भाँति  यह नीर है     ,    जीवन    का    आधार !!

[4]   पिघल-पिघल कर ग्लेशियर,   देते    नित    संकेत !

        जल प्रलय अब दूर नहीं  ,     सब जन जाएँ  चेत !!

[5]    सूरज आग   उगल    रहा   ,      बढ़ता   जाए   ताप  !

        जल बिना यह जीवन है   ,    जैसे इक  अभिशाप !!

[6]    पानी   का क्या   मोल   है   ,     जाने     रेगिस्तान !

        जहाँ   उसे   इक बूँद   भी     ,     लागे   सुधा  समान !!

[7]    कहीं   बाढ़    सूखा    कहीं    ,     कहीं   सुनामी  ज्वार !

        मूर्ख   मानव   खोल   रहा    ,      जल   प्रलय  के  द्वार !!

[8]    सागर   से   बादल    बनें     ,      बादल   से यह नीर !

        जल  बिना यह  जीवन है   ,      सचमुच    टेढ़ी   खीर !!

[9]    अत्यधिक   जल दोहन से ,     सूख रहे   सब स्रोत !

         कैसे जल बिन फिर चलें ,      इस  जीवन  के पोत !!

[10]   नीर  बिना   जीवन   नहीं    ,      बाँधो   मन में   गाँठ !

         जीवन  रूपी  पुस्तक   का    ,      जल ही पहला  पाठ   !!

[11]   धन - दौलत   से   कीमती   ,      पानी   की   हर   बूँद !

         पानी   को   बरबाद     कर    ,       यूँ  ना   आँखें    मूँद !!

[12]   जल  कहे   यह मानव से    ,     नष्ट  न  करियो  मोय !

         अपितु मैं जल समाधि बन ,    नष्ट    करूँगा    तोय !!

[13]   जो  मानव  जन नित करें ,    पानी  का   सम्मान !

         उस  के   जीवन   में    रहे     ,    सदा   मधुर  मुस्कान !!

[14]   पानी    से   मत     पूछिए    ,     क्या  है  उस  का रंग   !

         रंग  जाए   उस   रंग    में     ,      मिल  जाए  जिस  संग !!

[15]  जल  जीवन  का   सार   है   ,       परखो   जी    श्री मान !

         देते     हैं    सन्देश    यही    ,        गीता    और    क़ुरान !!

[16]   स्वार्थ   पूर्ति   ही न बनें    ,        जीवन का  अभिप्राय !

       "लतीफ़" हम सब मिल करें ,   जल  रक्षण के उपाय !!

                                          लतीफ़ खान ,,  दल्ली राजहरा ...

Comment by लतीफ़ ख़ान on November 7, 2012 at 8:59pm

श्री अरुण कुमार निगम जी ,तरही ग़ज़ल में आप की कोशिश बहुत ही शानदार है। कोशिश करते रहिये ,कोशिशें अक्सर कामयाब होती हैं। सौरभ जी ने जो मशविरा दिया है एकदम सही है।उन के सुझाव अनुसार कार्य कीजिए ,सफलता की मंजिल दूर नहीं।।।।बधाई ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2012 at 8:56pm

इस सुन्दर और सुगढ़ प्रस्तुति को मैं आज देख पा रहा हूँ. खेद है.

ग़ज़ल की प्रस्तुति में बहुत ही संयत प्रयास हुआ है. 

कांच   की  कारीगरी  में  जो   निपुण  थे  साथियों,
आजकल उन के ही  हाथों  में   हमें   पत्थर  मिला.
पेट भर  रोटी  मिली   जब   भूखे  बच्चों को  हुज़ूर,
सब कठिन प्रश्नों का उन को इक सरल उत्तर मिला.

इन दो अश’आर के लिये हृदय से बधाई स्वीकार करें, लतीफ़ भाई.   आपकी रचनाओं की प्रतीक्षा रहती है, फिर भी यह विशिष्ट ग़ज़ल अबतक छूट रही थी.

सादर

Comment by लतीफ़ ख़ान on November 7, 2012 at 8:29pm

शिखा कौशिक नूतन जी,,, उम्दा अशआर केलिए बधाई,, नारी शक्ति पर शशक्त रचना।

Comment by लतीफ़ ख़ान on November 7, 2012 at 8:16pm

श्री अरुण कुमार निगम जी ,तरही ग़ज़ल में आप की कोशिश बहुत ही शानदार है। कोशिश करते रहिये ,कोशिशें अक्सर कामयाब होती हैं। सौरभ जी ने जो मशविरा दिया है एकदम सही है।उन के सुझाव अनुसार कार्य कीजिए ,सफलता की मंजिल दूर नहीं।।।।बधाई ...

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 17, 2012 at 9:17am

“मीत मन से मन मिला तू और स्वर से स्वर मिला,”
कर लिया यह कर्म जिस ने उस को ही ईश्वर मिला.

बहुत सुन्दर मतला और दाद के काबिल हर शेर, सुन्दर गजल पर बधाई स्वीकार करें आद. अब्दुल लतीफ़ खान साहब.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 16, 2012 at 12:46pm

आदरणीय लतीफ़ खान साहब सादर प्रणाम
वाह वाह वा
क्या बात है इक इक शेर शानदार है
बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है सर जी
दाद पे दाद क़ुबूल कीजिये

Comment by AVINASH S BAGDE on October 16, 2012 at 11:28am

चापलूसी  की   कला  में  जो  है  जितना  ही चतुर,
जग में उस को उतना ही सम्मान और आदर मिला.

--
कर लिया यह कर्म जिस ने उस को ही ईश्वर मिला.

--

प्रेम  का  आश्रम   सजाने  के   लिए आ श्रम  करें,

वाह |लतीफ़ खान साहिब !!

Comment by रविकर on October 16, 2012 at 9:59am

वाह भाई वाह |
मजेदार ||
बधाई स्वीकारें , आदरणीय ||

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
22 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
yesterday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service