For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

===========ग़ज़ल===========
बहरे- हजज
वजन- १ २ २ २- १ २ २ २- १ २ २ २- १ २ २ २

सुबह भी स्याह जिसकी वो सुहानी शाम क्या देखे
वो मारा फुर्कतों का रात का अंजाम क्या देखे

लगा कर हौसलों के पर परिंदा इश्क का उड़ता
जमीं से उड़ चला तो फिर फलक क्या बाम क्या देखे

हया आशिक बनाती है अदा मदहोश करती है
निगाहों से पिलाती यूँ शराबी जाम क्या देखे

बना कर खूँ को स्याही नाम लिक्खा था कभी उसका
नहीं मिटता दरो-दीवार से वो नाम क्या देखे

मिटा दस्तूर तोड़ी रस्म सब भूला रिवाजों को
हुआ आशिक भला अब नाम क्या बदनाम क्या देखे

नहीं कोई बड़ा उसको नहीं छोटा कोई उसको
फकीरी भा रही जिसको वो खासो-आम क्या देखे

इबादत में जो  डूबा "दीप" तो खुद को भुला बैठा
खुदा इंसान में पाया है अल्ला-राम क्या देखे


संदीप पटेल "दीप"
सिहोरा, जबलपुर (म. प्र. )

Views: 924

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ajay sharma on October 9, 2012 at 11:02pm

नहीं कोई बड़ा उसको नहीं छोटा कोई उसको
फकीरी भा रही जिसको वो खासो-आम क्या देखे   anmol hai ,,,,

 

Comment by नादिर ख़ान on October 9, 2012 at 5:06pm

फकीरी भा रही जिसको वो खासो-आम क्या देखे

बहुत खूब संदीप जी ।

Comment by राजेश 'मृदु' on October 9, 2012 at 5:04pm

हिला दिया आपने संदीप जी। तकनीकी पक्ष गजल की मैं नहीं जानता लेकिन भावों ने तो सराबोर कर दिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 9, 2012 at 1:19pm

हया आशिक बनाती है अदा मदहोश करती है 
निगाहों से पिलाती यूँ शराबी जाम क्या देखे -----इस शेर ने तो सभी शेरों नंबर ले लिए वाह वाह

फलक क्या बाम क्या देखे----इसमें दो बार क्या का प्रयोग खल रहा है अर्थ भी गड़बड़ा रहा है जरा इस पंक्ति को दुबारा देख लें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service