For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पाप का ना भागी बन,मौन रहा क्यों साध,
मौन साध हामी भरे, वह भी है अपराध |

अपराध अगर यूँ करे, कौन करेगा माफ़,
वक्त लिखेगा एक दिन, दोषी तुझको साफ |

जान बूझ गलती करे, उसको दोषी मान
दोषी वह उतना नहीं,जिसे नहीं था भान |

मानव में न भेद करे, प्रभु सभी के साथ,
प्रभु सभी के साथ है,पकड़ कर्म का हाथ |

कर्म का फल देना ही, प्रभु के लेख माय,
प्रभु करेगा भला ही, गुरु भी यही बताय |

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर

Views: 1567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 6, 2012 at 9:58am
लय बनाए रखते हुए दोहे के शिप पक्ष को सुन्दर तरीके से बताने के लिए आपके 
सहयोगत्मक रूख के लिए हार्दिक साधुवाद आदरणीया सीमा अग्रवाल जी 
Comment by seema agrawal on October 5, 2012 at 8:46pm

आदरणीय लक्ष्मण जी ,
छंद विधा में गेयता ,होती है भरपूर 
आत्मसात कर लय लिखें, गणना करें ज़रूर 

अपराध ही करता चले,कौन करेगा माफ़....इस पंक्ति के प्रथम चरण में अभी भी दोष है 
पापाचारी को सदा ,कौन करेगा माफ़
वक्त लिखेगा एक दिन , दोषी तुझको साफ़  

इसे यूं देखिये ............
कर्म मनुज का धर्म  है, फल ईश्वर के हाथ 

कर्मलीन जो आप तो ,संग हैं दीना नाथ 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 5, 2012 at 8:05pm

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी और डॉ. प्राची सिंहजी,सीमा अग्रवाल जी पर मैंने गौर किया है,उनकी टिपण्णी से लाभान्वित हुआ हु :- 

मात्र गणना ही न करे,  लय का भी रख मान 
लय का गर रख मान तो, दोहा बने  महान  |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 5, 2012 at 6:06pm

आ. लक्ष्मण प्रसाद लाडिवाला जी, आपका सतत प्रयास आपको शुद्ध दोहा रचना के करीब ला रहा है. मात्रा गणना भी सधती जा रही है

जान बूझ गलती करे, उसको दोषी मान 
दोषी वह उतना नहीं,जिसे नहीं था भान |.....यह दोहा बिलकुल शुद्ध है, इस हेतु बहुत बहुत बधाई 
आदरणीया सीमा जी के कहे पर गौर करिए, 
मात्रा गणना के साथ साथ लय का भी ध्यान अवश्य रखें. 
शुभकामनाएं 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 5, 2012 at 5:16pm

हाँ लक्ष्मण जी आप प्रभु की मात्र ३ मान कर चले हैं पर प्र एक मात्रा गिना जाता है शुरू में ये गलती मुझसे भी होती थी आपके दोहों में बहुत निखार आता जा रहा है बहुत बधाई| सीमा जी की बात पर गौर करें |आप शीघ्र ही महारथ हांसिल कर लेंगे 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 5, 2012 at 4:58pm
आपकी साफगोई और बेबाक टिपण्णी दिल को बहुत भाती है और होंसला अफजाई भी, 
इस दौहरे लाभ के लिए बहुत बहुत आभार भाई राज नवा दवी जी  
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 5, 2012 at 4:52pm
आदरणीय सीमा जी आपके बहुमूल्य सुझावों के लिए हार्दिक आभार -
(1) दुसरे दोहे की पहली पंक्ति अपराध ही करता चले,कौन करेगा माफ़
(२)(१)मै प्रभु में ३ मात्रे मान रहा था, जो गलत है, आपके अनुसार २ ही होती है 
(३) अंतिम पंक्ति  
कर्म का ही फल मिले,प्रभु कर्म के अधीन,
करसके प्रभु करते है,जो हो कर्म अधीन| 
एक बार पुनः मार्ग दर्शन कर कृतग्य करे  
Comment by राज़ नवादवी on October 5, 2012 at 4:46pm

जान बूझ गलती करे, उसको दोषी मान 
दोषी वह उतना नहीं,जिसे नहीं था भान |

वाह, बहुत सही बात कही है. पर इस वैश्विक माया में ज्ञान के अनेकानेक स्तर हैं, और इसलिए अज्ञान के भी अनेक सोपान. ज्ञानी भी अज्ञानी है यदि इसे परमसत्ता की अवस्था से देखा जाए. जीवन संस्कारों, प्रवृतियों और, स्मृतियों की सतत खुलती और बंद होती इक किताब है. खैर, जो भी है, आपके प्रयासों और इस दोहांवालि के लिए ढेर सारी बधाइयां भाई लक्ष्मण जी! 

Comment by राजेश 'मृदु' on October 5, 2012 at 3:43pm

अच्‍छी प्रस्‍तुति । सीमा जी बात दोहा सीखने वाले हर लेखक के लिए लाभदायक है ।

Comment by seema agrawal on October 5, 2012 at 3:04pm

आदरणीय लक्ष्मण जी आपका सतत प्रयास रंग  ला रहा है और इस बार प्रस्तुत दोहों में वह स्पष्ट दिख रहा है अभी भी बहुत कमियाँ हैं पर चर्चा  का केंद्र उन पंक्तियों को बनाना चाहूंगी जो पूर्णतयः सही हैं ...बोल्ड अक्षर बिलकुल दुरुस्त हैं 
पाप का ना भागी बन, मौन रहा क्यों साध, ......सुझाव /पाप कर्म को देख भी 
मौन साध हामी भरे, वह भी है अपराध |

अपराध अगर यूँ करे, कौन करेगा माफ़,
वक्त लिखेगा एक दिन, दोषी तुझको साफ |.....सुझाव /
पहली पंक्ति आप पुनः कहिये 

जान बूझ गलती करे, उसको दोषी मान 
दोषी वह उतना नहीं,जिसे नहीं था भान |..........
कोटि कोटि प्रणाम आपके कथ्य को और शिल्प के प्रति  लगन को 

.मानव में न भेद करे, प्रभु सभी के साथ,
प्रभु सभी के साथ है,पकड़ कर्म का हाथ |..... सुझाव /१/  भेद-भाव करता नही

२/ प्रभु के स्थान पर ईश कर लीजिये या  सभी की जगह सब ही  लिखिए 

कर्म का फल देना ही, प्रभु के लेख माय,
प्रभु करेगा भला ही, गुरु भी यही बताय |...इस दोहे को एक बार फिर कहिये 

विषयवस्तु के लिए बहुत बहुत  बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
23 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service