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तू मेरा अभिमान है ....


पेड़ -
सुनो पेड़ -
छीन ली बैसाखी ,
मोनू आया तेरे दर
पैंया पैंया !
तुमने जो कहा -
मैंने क्या सही सुना -
बहन बड़ा न भैया

सबसे बड़ा रुपैया !

पेड़ पर तूफ़ान उठा है
सुनामी बस्ती उजाडेगी ,
बवंडर तो मचाएगी
डेंगू का डंक मौनू को डसेगा
एलोपैथी ने जबाव दिया टका सा
खून चढाना है एकमात्र उपाय
खून और कोयले की नहीं मिली राय
पेड़ तुम ही पूछ लेना
जब मिल जाय उसकी धाय
किस छाती का दूध पीया है हाय !

पेड़
तुम्हारी थोड़ी सी
गिलोय की छाल
उतारनी है ,
मुझे पता है
बहुत दर्द होता होगा
थोड़े से पपीते के
पत्तों का भी है सवाल
जिसके रस का करके अमृत पान
बच जायेगी मौनू की जान
इसीमे है पेड़ तेरी शान !

पेड़
मेरे कल्पवृक्ष ,
तेरा किया जिसने ,
चीर हरण ,
वो आया तेरे शरण ,
तुझे करना पड़ेगा उसका वरण,
देकर उसको त्राण ,
बचा ले उसके प्राण,
तू है मेरा अभिमान !

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Comment by rajesh kumari on September 30, 2012 at 9:44am

पेड़ 
तुम्हारी थोड़ी सी 
गिलोय की छाल 
उतारनी है ,
मुझे पता है 
बहुत दर्द होता होगा 
थोड़े से पपीते के 
पत्तों का भी है सवाल 
जिसके रस का करके अमृत पान 
बच जायेगी मौनू की जान 
इसीमे है पेड़ तेरी शान !------प्रकृति के प्रति संवेदन  शीलता और हमारे जीवन में उसके उपकार उसकी महत्ता को दर्शाती हुई रचना के लिए बहुत बधाई 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 30, 2012 at 12:57am

आदरणीया डॉ सरोज जी ...एक दूजे का ख्याल रखें तो बात ही बन जाए ..पेड़ का दर्द और महत्व उजागर ..बहुत सुन्दर सन्देश  ...सुन्दर रचना  ....

अपना स्नेह बनाये रखें 
भ्रमर ५ 
जय श्री राधे 

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