For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई फिर भगवान हुआ है

यह रचना उन (ढोंगी ) बाबाओं और गुरुओं के नाम जो अमरबेल से हर गली में  हर रोज उग रहे है .....


कोई फिर भगवान हुआ है
हर घर का दरबान हुआ है 
फैला कर झूठे विज्ञापन
गीता और कुर'आन हुआ है 

विदूषकों के वाग्जाल से 
माया-मंडित इंद्रजाल से 
समझ-बूझ औ' सद्-विवेक का
प्रज्ञा से प्रस्थान हुआ है

कोई फिर भगवान हुआ है.......... 

भौतिकता में उलझे सारे
गुरुओं के आध्यात्मिक नारे
आडम्बर और छद्म-आचरण 
सुनियोजित अभियान हुआ है 

कोई फिर भगवान हुआ है ........

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seema agrawal on September 9, 2012 at 10:15pm

हरविंदर सिंह जी एवं भावेश जी आपका हृदय से धन्यवाद 

भावेश जी आपने  इस प्रकार के लोगों के लिए जो शब्द प्रयुक्त किए  वो बिलकुल उचित हैं //अपनी लच्छेदार बातों के जाल में फंसा कर //

Comment by seema agrawal on September 9, 2012 at 10:10pm

कविता में निहित भावों को सराहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद उमाशंकर जी 

Comment by seema agrawal on September 9, 2012 at 10:08pm

रेखा जी जबतक देश में शिक्षा के महत्व को दरकिनार किया जायेगा ये सब यूँ ही चलेगा (वैसे  कई पढेलिखे भी इस आडम्बर में श्रद्धा रखते हैं )दिल से शुक्रिया आपको 

Comment by seema agrawal on September 9, 2012 at 10:05pm

"जब तक धरती पर मुर्ख रहेंगे, धूर्तों का पेट भरता रहेगा" आपका कहना ठीक है गणेश जी पर बहुत सी ऐसी परिस्थितियाँ भी होतीं है जो

भोले भाले लोगों को  इनके जाल ने फंसने के लिए बेबस करतीं हैं 

रचना को समय देने और सराहने के लिए शुक्रिया 

Comment by seema agrawal on September 9, 2012 at 10:00pm

आदरणीय लक्ष्मन जी रचना में सन्निहित  भावों को समर्थन देने के लिए आपकी अत्यंत आभारी हूँ ...आपके द्वारा प्रेषित शब्द मेरे लिए बहुत महत्व रखते हैं 

जिसके अंदर शैतान छिपा हुआ है, 

नोटों, मालाओ का कद्रदान हुआ है |...सच कहा  आपने 
Comment by Bhawesh Rajpal on September 7, 2012 at 12:23pm
आज के समय में भी ये विडम्बना ही तो है कि लोग अंध भक्ति करने लगते हैं और उन्हें भगवान् का दर्जा दे देते हैं , और वो चालाक लोग जो अपने आप को संत घोषित करते हैं , लोगों के भोलेपन का लाभ उठाते हैं , अपनी लच्छेदार बातों के जाल में फंसा कर उन्हें अपना गुलाम बना लेते हैं !
बढ़िया रचना ! बधाई ! 
Comment by Harvinder Singh Labana on September 6, 2012 at 8:51pm

Behad Khoobsurat....

Comment by UMASHANKER MISHRA on September 6, 2012 at 7:50pm

विदूषकों के वाग्जाल से 
माया-मंडित इंद्रजाल से 
समझ-बूझ औ' सद्-विवेक का
प्रज्ञा से प्रस्थान हुआ है

कोई फिर भगवान हुआ है.......... 

भौतिकता में उलझे सारे
गुरुओं के आध्यात्मिक नारे
आडम्बर और छद्म-आचरण 
सुनियोजित अभियान हुआ है 

कोई फिर भगवान हुआ है ........बहुत बढ़िया आदरणीया सीमा जी हार्दिक बधाई

Comment by Rekha Joshi on September 6, 2012 at 7:43pm

 आदरणीया सीमा जी 

कोई फिर भगवान हुआ है
हर घर का दरबान हुआ है 
फैला कर झूठे विज्ञापन
गीता और कुर'आन हुआ है ,मालूम नही कब तक भगवान बने ढोंगी बाबा भोले भाले लोगों को बेवकूफ बनाते रहें गे ,बढ़िया रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें 



मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2012 at 4:14pm

जब तक हम इंसान अपने अन्दर के भगवान् से परिचित नहीं हो जाते ये बहुरूपियें ठगते रहेंगे, कहा भी गया है कि जब तक धरती पर मुर्ख रहेंगे, धूर्तों का पेट भरता रहेगा, एक अच्छी रचना पर साधुवाद |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service