For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फितरत ए इन्सान ए अजब

आज मुझ पे हसीं इल्ज़ाम लगाया उसने,

मेरे सोते हुए बातिन को जगाया उसने।

मुझसे बोला के ये क्या रोग लगा बैठा है,

धूप निकली है अन्धेरे में छुपा बैठा है?

तुझको दुनिया की जो तकलीफ का हो अन्दाज़ा,

अपनी मायूसियों के खोल से बाहर आ जा।

अपने कमरे से निकलकर जो मैं बाहर आया,

तेज़ सूरज से हर एक शख्स को जलता पाया।

हर तरफ शोर था अब धूप न सह पायेंगे,

गर न बारिश हो तो बेमौत मारे जायेंगे।

बस कबूल अब तो हमारी ये सिफारिश कर दे,

धूप झुलसाती है अल्लाह तू बारिश कर दे।

मैं ये हैरतज़दा सा सोचने लगा यकदम,

अजब इंसान हैं मखलूके खुदा कैसे हम।

ये वही धूप है जिसके लिए तरसे थे कभी,

सर्द मौसम में इसकी आस में रहते थे सभी।

कैसा इंसान है हर वक्त ये रोता जाये,

अपनी उम्मीद के जैसा ही हमेशा चाहे,

वक्त कैसा भी हो चुपचाप मैं सह लेता हूँ,

दर्द कितना भी हो हर हाल में खुश रहता हूँ।

मुझसे बेकार की बातें नहीं देखी जाती,

इसलिए ही तो ये तन्हाई मेरी है साथी।

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by इमरान खान on August 9, 2012 at 3:46pm

मुहतरम अम्बरीश साहब बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2012 at 12:00pm

मुझसे बोला के ये क्या रोग लगा बैठा है,

धूप निकली है अन्धेरे में छुपा बैठा है?

वाह जनाब वाह क्या बात है, दाद कुबूल कीजिये

Comment by Rekha Joshi on August 7, 2012 at 10:04pm

वक्त कैसा भी हो चुपचाप मैं सह लेता हूँ,

दर्द कितना भी हो हर हाल में खुश रहता हूँ।खुबसूरत नज्म पर बहुत बहुत बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 7, 2012 at 7:09pm

'दर्द कैसा भी हो हर हाल में खुश रहता हू', बहु सुन्दर सन्देश भाई इमरान खान जी, बधाई 

Comment by yogesh shivhare on August 7, 2012 at 7:08pm

बस कबूल अब तो हमारी ये सिफारिश कर दे,

धूप झुलसाती है अल्लाह तू बारिश कर दे।.....aameen....bhai ji ...sudnar

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 7, 2012 at 4:13pm

कैसा इंसान है हर वक्त ये रोता जाये,

अपनी उम्मीद के जैसा ही हमेशा चाहे,

वक्त कैसा भी हो चुपचाप मैं सह लेता हूँ,

दर्द कितना भी हो हर हाल में खुश रहता हूँ।

प्रिय     इमरान   जी  बहुत  अच्छा  सन्देश  और  अच्छी  नज्म  .....मुबारक  हो  जनाब  ..अल्लाह   सुनें फ़रियाद और झमाझम बारिस  हो  

भ्रमर ५ 

 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 7, 2012 at 12:11pm

//

वक्त कैसा भी हो चुपचाप मैं सह लेता हूँ,

दर्द कितना भी हो हर हाल में खुश रहता हूँ।//

वाह इमरान जी वाह ......खूबसूरत नज़्म के लिए मुबारकबाद ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service