For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वही तो सृजनकार है....

जिसका अंक है कोई, न रूप कार है,

जो प्रकाश पुंज है, जो निर्विकार है,

कणों कणों से एक सुर में ये पुकार है,

वही तो सृनकार है, वही तो सृनकार है।


ये नगर ये गाम गाम, वन सघन ये धाम धाम,

भोर ये खिली खिली, लालिमा लिए ये शाम।

ये सूर्य चंद्र ये धरा, समुद्र मोतियों भरा।

ये पंछी पंख खोलते, वृक्ष वृक्ष डोलते।

धरती से व्योम तक.., जंगल और पुष्प से,

दूर दृष्टि छोर तक.., दृष्टि अति अल्प से


जब एक एक सृन से वो खुद साकार है

फिरे तू क्यों ये पूछता, ये किसका कार है!

कणों कणों से एक सुर में ये पुकार है,

वही तो सृनकार है, वही तो सृनकार है।

Views: 599

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by इमरान खान on July 14, 2012 at 5:02pm
मैं सभी मित्रों का दिल की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूँ, और इतनी देर से प्रतिउत्तर देने पर मुझे खेद है,
आशा है आप सभी का सहयोग और मार्गदर्शन मुझे प्राप्त होता रहेगा.... :-)
Comment by AjAy Kumar Bohat on May 11, 2012 at 7:21pm

swarg si anubhuti hoti hai aisi kavita padhkar...

Comment by Bhawesh Rajpal on May 10, 2012 at 10:05am

जिसका अंक है कोई, न रूप कार है,

जो प्रकाश पुंज है, जो निर्विकार है,

कणों कणों से एक सुर में ये पुकार है,

वही तो सृनकार है, वही तो सृनकार है।

Comment by Bhawesh Rajpal on May 10, 2012 at 10:04am
उस परम शक्ति का प्रकृति के हर रूप में  अहसास  कराने  में समर्थ कविता !
इमरान जी , आपको हार्दिक बधाई ,  अभिवादन  ! 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2012 at 5:32pm

बहुत सुन्दर प्रकृति  की छटा बिखेरती कविता बहुत खूब 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 9, 2012 at 5:06am

प्रिय इमरान जी, बहाल उसके सिवा और कों हो सकता है महान चित्रकार , रचनाकार, सृजन हार, या फिर तारणहार ! बहुत ही सुन्दर चित्रण उस मायावी प्रभु की! नमन उनको , गीत को और आपको भी! 

Comment by MAHIMA SHREE on May 8, 2012 at 10:08pm

इमरान जी बहुत ही sunder गीत .मैं सरिता दी से सहमत हूँ बिलकुल वही गीत अनायास याद आ गया

बहुत-२ बधाई आपको ऐसे ही लिखते रहें

Comment by Sarita Sinha on May 8, 2012 at 8:03pm

इमरान खान जी, नमस्कार, 

आप की सुन्दर सी छायावादी कविता पढ़ के मुझे एक बहुत पुराना गीत याद आ गया.....
हरी हरी वसुंधरा पे नीला नीला यह गगन 

के जिस पे बदलो की पालकी उड़ा रहा पवन दिशाए देखो रंग भरी , चमक रही उमंग भरी

यह किस ने फूल फूल पे किया सिंगार है 

यह कौन चित्रकार है ...बहुत सुन्दर प्रकृति चित्रण..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service