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रिमझिम बरस जाती हैं बूंदे
जब याद तुम्हारी आती है ।
बिन मौसम ही मेरे घर में
वो बरसात ले आती है ।
जब पड़ी मेह की बूंदे
मुस्कुराते उन फूलों पर
हर्षित फूलों पर वो बूंदे
तेरा चेहरा दिखाती है ।
नाता तो गहरा है
इन बूंदो का तुझसे
चाहे तेरी याद हो या
ये बरसात हो मुझे तो 
दोनों भिगो जाती हैं ।

- दीप्ति शर्मा

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Comment

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Comment by deepti sharma on July 11, 2012 at 7:01pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , आपका बहुत बहुत आभार अपना आशीष यूँ ही बनाये रखियेगा

Comment by Rekha Joshi on July 10, 2012 at 1:50pm

दीप्ति जी 

नाता तो गहरा है 
इन बूंदो का तुझसे 
चाहे तेरी याद हो या 
ये बरसात हो मुझे तो  
दोनों भिगो जाती है ,बहुत खूब ,बधाई 
Comment by Albela Khatri on July 10, 2012 at 12:49pm

धन्य हो दीप्ति शर्मा जी.......
बहुत अच्छी पकड़ है आपकी लेखनी पर.........
सम्वेदना का स्पन्दन भली भान्ति सुनाई देता है आपके काव्य में.........

नाता तो गहरा है
इन बूंदो का तुझसे
चाहे तेरी याद हो या
ये बरसात हो मुझे तो 
दोनों भिगो जाती हैं ।

___बहुत सुन्दर.........
____बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2012 at 12:38pm

बहुत कोमल एहसास रिम झिम की फुहारों जैसे बहुत सुन्दर 

Comment by deepti sharma on July 10, 2012 at 12:17am

आदरणीय कुमार गौरव जी आपका बहुत आभार

Comment by deepti sharma on July 10, 2012 at 12:16am

आदरणीय अरुण शर्मा जी आपका बहुत आभार

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on July 9, 2012 at 8:58pm

अति सुन्दर...

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2012 at 10:57am

वाह खुबसूरत

Comment by deepti sharma on July 9, 2012 at 1:57am

आदरणीय कवी राज बुन्देली जी आपका बहुत आभार आपको कविता पसंद आई यूँही मार्गदर्शन करते रहियेगा

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on July 9, 2012 at 1:42am

कमाल का रिम-झिम है दीप्ति जी,,,,,,,,तन मन सब सराबोर हो गया पढ़ कर,,,,,वाह वाह वाह,,,,,,,,,,,,

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